#NewsBytesExclusive: व्हाट्सऐप के जरिए जासूसी का शिकार हुईं मानवाधिकार कार्यकर्ता रूपाली जाधव से बातचीत
हाल ही में व्हाट्सऐप के जरिए दुनियाभर के पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों आदि के फोन की जासूसी की खबरें सामने आई थीं। इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जासूसी को अंजाम दिया गया। 20 देशों में व्हाट्सऐप के लगभग 1,400 यूजर्स की जासूसी की गई। इनमें भारत के 120 से अधिक लोग शामिल थे। इन्हीं में से एक मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली रूपाली जाधव ने मामले को लेकर न्यूजबाइट्स से खास बातचीत की।
कौन हैं रुपाली जाधव?
रुपाली जाधव महाराष्ट्र में मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली एक कार्यकर्ता हैं। वह कबीर कला मंच से जुड़ी हुईं हैं। इस मंच के कलाकार अपनी कविताओं और संगीत द्वारा दलित उत्पीड़न और सामाजिक भेदभाव से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाते हैं।
जासूसी का पता कब और कैसे चला?
रूपाली ने बताया कि उनके पास 28 अक्टूबर को कनाडा की सिटीजन लैब से फोन आया था। उन्हें बताया गया कि उनकी जासूसी की जा रही है। इसके दो-तीन दिन बाद व्हाट्सऐप ने रूपाली को सूचित किया कि उनकी जासूसी की जा रही है और उनकी फेसबुक, व्हाट्सऐप और जीमेल समेत सभी सोशल मीडिया ऐप्स को हैक कर लिया गया है। रूपाली ने बताया कि उन्हें व्हाट्सऐप की तरफ से कहा गया कि वो अपना एंड्रॉयड स्मार्टफोन बदल लें।
क्या सिटीजन लैब के फोन से पहले जासूसी की बात पता थी?
जब हमने उनसे पूछा कि क्या 28 अक्टूबर से पहले उन्हें इस बात की जानकारी थी कि आपकी जासूसी की जा रही है। इसके जवाब में रूपाली ने कहा कि वो एक एक्टिविस्ट हैं तो वो हर सरकार के निशाने पर रहती हैं। पहले भी उनके फोन वगैरह रिकॉर्ड किये जाते रहे हैं, लेकिन इस तरीके से इंटरनेशनल लेवल पर उनका फोन हैक किया जाएगा, उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
कई सोशल मीडिया पेज की एडमिन हैं रूपाली
जासूसी का लोकसभा चुनावों से संबंध के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसी संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होने कहा, "हम खुद एक राजनीतिक दल का प्रचार कर रहे थे तो हो सकता है कि इसका चुनाव से कुछ संबंध हो।" रूपाली ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र में प्रकाश अंबेडकर के लिए चुनाव प्रचार किया था। प्रचार के लिए बनाए गए फेसबुक पेजों के अलावा वो कबीर कला मंच के सोशल मीडिया पेजों की भी ऐडमिन हैं।
जासूसी के पीछे कौन?
रूपाली से यह पूछने पर कि उनकी जासूसी के पीछे उन्हें किसका हाथ होने का शक है, तो उन्होंने कहा, "हम एक्टिविस्ट लोग हैं। ऐसे में यह समझना मुश्किल नहीं है कि हमारा काम करना किन लोगों को चुभ रहा है। मैं किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं ले सकती।" उन्होंने कहा कि कोई बाहर से डाटा चुरा रहा है तो यह देश की सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों के निजता के अधिकार की रक्षा करे।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाए जाने के पीछे की वजह?
हमने रूपाली से पूछा कि उन समेत दूसरे एक्टिविस्ट्स को निशाना क्यों बनाया गया? इस पर उन्होंने कहा कि लोग इस मामले को बहुत सीमित तरीके से देख रहे हैं। दुनियाभर में अधिकारों के लिए लड़ने वाले लोगों को निशाना बनाया गया है। यह वैश्विक स्तर का मामला है और इसके खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है। रूपाली ने कहा कि अभी केवल कुछ लोग ही सामने आए हैं। न जाने कितने ही आम लोगों की जासूसी की गई है।
क्या ऐसी घटनाएं एक एक्टिविस्ट के काम पर असर डालेगी?
ऐसी घटनाएं एक एक्टिविस्ट के काम पर कितना असर डालती हैं? इसके जवाब में रूपाली ने कहा, "मैं सरप्राइज नहीं हूं कि मेरा फोन हैक हुआ है। कोई भी सरकार रहे, हमारे फोन टैप होते रहे हैं। इस बार यह हुआ है कि लोगों को इसका पता चल गया।" रूपाली ने कहा कि जासूसी कोई नई बात नहीं है। राजाओं के समय से यह होते आई है और अब इसका स्वरूप बदलकर डिजिटल हो गया है।
एक आम आदमी जासूसी का शिकार होने पर क्या करें?
रूपाली ने कहा कि वो अधिकारों के लिए काम कर रही हैं इसलिए आवाज उठा रही हैं। उन्होंने कहा, "आम आदमी के हाथ में कुछ नहीं है। उसे रोटी की चिंता में काम पर जाना होता है। अगर उसके साथ ऐसी घटना होती है तो वह नजरअंदाज कर देगा। इसलिए जरूरी है कि निजता के अधिकार के बारे में उसे जागरूक किया जाए। अगर सरकार नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी नहीं ले पाती तो लोगों को आगे आना होगा।"
कानूनी कार्रवाई का विचार कर रहीं रूपाली
इस मामले में कानूनी कार्रवाई के सवाल पर रूपाली ने कहा कि फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी कंपनियां कहने के बावजूद भरोसा नहीं दे पा रही है। रूपाली ने कहा कि वो लोग मिलकर उन पर कार्रवाई की योजना बना रहे हैं।
चोरी के बाद सीनाजोरी कर रही व्हाट्सऐप- रूपाली
रूपाली ने कहा कि व्हाट्सऐप ने उनको एंड्रॉयड फोन बदलने को कहा है। उन्होंने कहा, "व्हाट्सऐप चोरी के साथ सीनाजोरी कर रही है। पहले जासूसी की गई और बाद में फोन बदलने को कहा गया। मैं बहुत निम्न तबके से आती हूं। मेरे पास इतने साधन नहीं है कि मैं हर बार अपडेटेड फोन ले सकूं। हैंकिंग का मामला व्हाट्सऐप की समस्या है लेकिन वो फोन बदलने को हमें कह रहे हैं। यह चोरी के बाद सीनाजोरी वाली बात है।"
"नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे सरकार"
रूपाली ने कहा कि यह सीधा-सीधा निजता के हनन का मामला है। हर सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके नागरिकों के अधिकारों का हनन न हो। उन्होंने कहा, "अभी कम लोगों के नाम सामने आए हैं। आगे चलकर यह बड़ा मामला बन सकता है।"