नए आपराधिक कानूनों को पेश करने की अनुमति मिली; समलैंगिकता, व्यभिचार पर सुझाव के खिलाफ प्रधानमंत्री
क्या है खबर?
केंद्रीय कैबिनेट ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को नए आपराधिक कानूनों से संबंधित 3 विधेयकों को संसद में पेश करने की अनुमति दे दी है।
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनका कार्यालय गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति द्वारा दिए गए 2 सुझावों से असहमत हैं, जिनमें व्यभिचार और समलैंगिक यौन संबंध को अपराध के दायरे में रखने की सिफारिश की गई है।
सुझाव
समिति की सिफारिशों पर क्या है आपत्ति?
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने सिफारिश की है कि भारत न्याय संहिता विधेयक, 2023 में व्यभिचार (धारा 497) और समलैंगिक यौन संबंध (धारा 377) को अपराध के दायरे में रखा जाए और इन कृत्यों पर लोगों को दंडित किया जाए।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने इन सिफारिशों को मानने से साफ इनकार कर दिया है क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम होंगे और इसे सुप्रीम कोर्ट और उसके फैसलों के खिलाफ देखा जाएगा।
आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अपराधों पर क्या फैसला दिया था?
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में बड़ा फैसला देते हुए व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था कि यह महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करता है, लैंगिक रूढ़िवादिता को कायम रखता है और महिलाओं की गरिमा को कम करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर, 2018 को समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था। इसके तहत पुरुष, महिला, ट्रांसजेंडर के बीच सहमति से बनने वाले यौन संबंध अपराध में नहीं आते।