#NewsBytesExplainer: भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और किसान; तेलंगाना विधानसभा चुनाव में क्या हैं बड़े मुद्दे?
इस साल 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। 7 नवंबर को मिजोरम की सभी 40 सीटों और छत्तीसगढ़ की 20 सीटों पर मतदान हो गया है। सबसे आखिर में 30 नवंबर को तेलंगाना में मतदान होगा। यहां पर सत्तारुढ भारत राष्ट्र समिति (BRS), भाजपा और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। आइए समझते हैं कि तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दे क्या हैं।
बेरोजगारी
तेलंगाना में बेरोजगारी और पेपर लीक का मुद्दा काफी बड़ा है। इसे लेकर आए दिन राज्य के बेरोजगार युवा धरना-प्रदर्शन करते रहते हैं। पिछले चुनाव में सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका है, इस वजह से युवा नाराज हैं। BRS सरकार ने 'विद्यार्थी और युवजन' जैसे कार्यक्रम शुरू किए हैं। तेलंगाना सरकार दावा कर रही है कि उसने 2 लाख युवाओं को नौकरियां दी हैं।
भ्रष्टाचार
कर्नाटक की ही तरह कांग्रेस तेलंगाना में भी भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बना रही है। कालेश्वरम परियोजना के मेडिगड्डा बैराज के धंसने के बाद राहुल गांधी ने इस जगह का दौरा किया था। उन्होंने कहा था कि कालेश्वरम परियोजना के चंद्रशेखर राव (KCR) परिवार का ATM है। तेलंगाना भाजपा के प्रमुख जी किशन रेड्डी ने भी कालेश्वरम परियोजना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विपक्ष शासित राज्यों में इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
किसान
तेलंगाना की करीब 60 प्रतिशत आबादी खेती-किसानी से जुड़ी हुई है। इस वजह से सभी पार्टियों का किसानों पर फोकस रहा है। मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए रायथु बंधु योजना शुरू की है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रैली में भी निजामाबाद में एक राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड स्थापित करने की घोषणा की है। किसान लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। कांग्रेस ने भी किसानों को ध्यान में रखकर कई वादे किए हैं।
पिछड़ा वर्ग का मुद्दा
तेलंगाना में करीब 52 प्रतिशत आबादी पिछड़े वर्ग की है। इन वर्गों से जुड़े संगठन उचित प्रतिनिधित्व की मांग को लेकर पार्टियों पर दबाव बना रहे हैं। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ के अध्यक्ष आर कृष्णैया ने कहा है कि भारत राष्ट्र समिति ने सिर्फ 23 सीटें ही पिछड़े वर्ग (BC) के प्रत्याशियों को दिए हैं। भाजपा ने वादा किया है कि अगर वो सत्ता में आई तो पिछड़े वर्ग के नेता को मुख्यमंत्री बनाएगी।
क्या रहे थे पिछले चुनावों के नतीजे?
तेलंगाना में आखिरी बार चुनाव 7 दिसंबर, 2018 को हुए थे। तब BRS को 88, कांग्रेस को 19, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) को 7, तेलंगाना तेलुगु देशम पार्टी (TTDP) को 2, भाजपा और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) को एक सीट पर जीत मिली थी। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। 2018 में KCR ने अपना कार्यकाल पूरा होने से 9 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था।
न्यूजबाइट्स प्लस
मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, मिजोरम में विधानसभा चुनाव एक चरण, जबकि छत्तीसगढ़ में 2 चरण में होंगे। 7 नवंबर को मिजोरम में सभी सीटों पर और छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव हो चुका है। इसके बाद 17 नवंबर को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का चुनाव होगा। राजस्थान में 25 नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव होंगे। सभी राज्यों के चुनाव नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे।