किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा को NIA का समन, पूछताछ के लिए बुलाया
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी (LBIWS) के प्रमुख बलदेव सिंह सिरसा को समन भेजा है। सिरसा को खालिस्तान समर्थक संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' के एक नेता से संबधित मामले में समन भेजा गया है। बता दें कि सिरसा कृषि कानूनों को लेकर सरकार के साथ बात कर रहे किसान नेताओं के प्रतिनिधिमंडल में शामिल होते रहे हैं और उनका संगठन भी आंदोलन का हिस्सा है। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
समन में कही गई 17 जनवरी को पेश होने की बात
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, NIA ने सिरसा को 17 जनवरी को दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में पेश होने को कहा है। NIA का कहना है कि सिरसा से 'सिख फॉर जस्टिस' के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ दर्ज मामले से संबंधित पूछताछ करनी है। पन्नू पर 'भय और अराजकता का माहौल बनाकर लोगों में असंतोष पैदा कर उन्हें भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए उकसाने' का आरोप है।
आंदोलन कमजोर करने की कोशिश कर रही सरकार- सिरसा
वहीं सिरसा ने इस समन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार किसान आंदोलन को पटरी से उतारने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के जरिये आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की और अब यह NIA का सहारा ले रही है। मंगलवार को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सरकार को जानकारी मिली है कि किसान आंदोलनों में खालिस्तान समर्थित लोग घुसे हुए हैं।
UAPA के तहत दर्ज है पन्नू के खिलाफ मामला
रिपोर्ट के मुताबिक, पन्नू के खिलाफ भारतीय दंड संंहिता की कई धाराओं के अलावा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस संबंध में पूछताछ के लिए सिरसा समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और दूसरे लोगों को समन भेजा गया है।
किसानों के लिए काम कर रहे लोगों को डराने की कोशिश- सिरसा
सिरसा ने बताया कि किसान आंदोलन से जुड़े कई लोगों को ऐसे समन भेजे गए हैं। यह किसानों के लिए काम कर रहे लोगों को डराने की कोशिश है। सिरसा ने आगे कहा, "हमें इससे फर्क नहीं पड़ता। हम झुकेंगे नहीं। NIA दिन रात काम कर 26 जनवरी को होने वाली किसान परेड रोकने की कोशिश कर रही है। वहीं सरकार इस आंदोलन को बदनाम करने पर अड़ी हुई है।"
'सिख फॉर जस्टिस' के खिलाफ ये आरोप
NIA की FIR में 'सिख फॉर जस्टिस' को UAPA के तहत 'गैरकानूनी संगठन' बताया है और उस समेत दूसरे 'खालिस्तानी आतंकी संगठनों' पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। FIR में दावा किया गया है कि भारत सरकार के खिलाफ प्रचार अभियान और प्रोपैगेंडा चलाने के लिए के लिए विदेशों में भारी फंड इकट्ठा किया गया था। इन गतिविधियों में अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, जर्मनी और दूसरी जगहों पर भारतीय मिशनों के बाहर प्रदर्शन किए गए।
आतंकी कामों के लिए भारत भेजा गया पैसा- FIR
FIR में यह भी दावा है कि इस तरह जुटाया गया पैसा NGO के जरिये भारत में खालिस्तान समर्थक तत्वों को भेजा गया ताकि वो आतंकी कृत्य कर सके और भारत के लोगों को आतंकित कर सके। FIR में लिखा गया है कि 'सिख फॉर जस्टिस' के नेतृत्व ने सरकार और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और देश के लोगों तक आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति बाधित करने के लिए बड़े स्तर पर योजना बनाई थी।
किसानों और सरकार के बीच नहीं बनी बात
दूसरी तरफ कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का हल नहीं निकल सका है। शुक्रवार को किसानों और सरकार के बीच हुई नौवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा साबित हुई। किसान तीनों कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े हैं, वहीं सरकार का कहना है कि वह कानूनों में संशोधन कर सकती है, लेकिन इन्हें रद्द नहीं किया जाएगा। दोनों पक्षों के बीच अगले दौर की बातचीत 19 जनवरी को 12 बजे होगी।