
छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़, 16 नक्सलियों के मारे जाने की खबर
क्या है खबर?
छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की खबर है, जिसमें 16 नक्सली मारे गए हैं।
बताया जा रहा है कि ये मुठभेड़ सुकमा और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर हुई है। गोगुंडा की पहाड़ी पर उपमपल्ली में मुठभेड़ फिलहाल जारी है और दोनों तरफ से लगातार गोलीबारी हो रही है।
अब तक करीब 2 जवानों के घायल होने की भी खबर है।
मुठभेड़
30-40 नक्सलियों के छिपे होने की संभावना
पुलिस के अनुसार, यह मुठभेड़ केरलापाल थाना क्षेत्र के एक जंगल में हुई, जहां सुरक्षा बलों की एक टीम नक्सल विरोधी अभियान पर निकली थी।
अधिकारियों को इस इलाके में नक्सलियों के होने का इनपुट मिला था। इसके बाद जिला रिजर्व गार्ड (DRG) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान नक्सलियों की तलाश में निकले थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलाके में 30 से 40 नक्सलियों के छिपे होने की खबर है।
बरामदगी
सुरक्षाबलों ने बरामद किए शव और हथियार
सुरक्षाबलों ने मौके से इंसास और SLR जैसे आधुनिक हथियार बरामद किए हैं।
दैनिक भास्कर से बात करते हुए DIG कमलोचन कश्यप ने कहा, "16 नक्सलियों के शव बरामद कर लिए गए हैं। जिस तरह से हथियार मिले हैं, उससे यह स्पष्ट है कि मारे गए नक्सलियों में बड़े कैडर्स के भी हैं। अभी मुठभेड़ चल रही है। ऑपरेशन खत्म होने पर तलाशी की जाएगी, इसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि नक्सलियों को और कितना नुकसान हुआ है।"
पिछली मुठभेड़
25 मार्च को मारा गया था 25 लाख का इनामी नक्सली
इससे पहले 25 मार्च को सुरक्षाबलों ने 3 नक्सलियों को मार गिराया था। इनमें 25 लाख रुपये का इनामी नक्सली सुधीर उर्फ सुधाकर भी शामिल था।
ये मुठभेड़ दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमा पर स्थित गीदम थाना क्षेत्र के गिरसापारा, नेलगोड़ा, बोड़गा और इकेली के इलाकों में हुई थी।
घटनास्थल से इंसास राइफल, 303 राइफल सहित भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया था।
इस साल अब तक करीब 100 नक्सली मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।
बयान
गृह मंत्री ने कहा था- मार्च, 2026 तक खत्म होगा नक्सलवाद
20 मार्च को छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ में 22 नक्सली मारे गए थे।
इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा था, 'नक्सलमुक्त भारत अभियान की दिशा में हमारे जवानों को एक और बड़ी सफलता मिली है। सरकार नक्सलियों के विरुद्ध क्रूर तरीके से आगे बढ़ रही है। समर्पण से लेकर समावेशन की तमाम सुविधाओं के बावजूद जो नक्सली आत्मसमर्पण नहीं कर रहे, उनके खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है। 31 मार्च, 2026 से पहले देश नक्सलमुक्त होने वाला है।'