बांग्लादेश: प्रदर्शनकारियों ने किया सुप्रीम कोर्ट का घेराव, मुख्य न्यायाधीश ने दिया इस्तीफा
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने के बाद भी हालातों में सुधार नहीं हुआ है। अब प्रदर्शनकारी बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशों के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। इसके लिए उन्होंने सुबह सुप्रीम कोर्ट का घेराव भी कर लिया। प्रदर्शनकारियों में अधिकतर छात्र ही शामिल हैं। प्रदर्शन को बढ़ता देख बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन ने न्यायपालिका के प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया है।
प्रदर्शनकारियों ने न्यायाधीशों को दिया था एक घंटे का समय
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन सहित सभी न्यायाधीशों को इस्तीफा देने के लिए एक घंटे का समय दिया था। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सभी न्यायाधीश एक घंटे में इस्तीफा नहीं देंगे तो उनके आवासों पर हमला बोल दिया जाएगा। एक प्रदर्शनकारी छात्र का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट अंतरिम सरकार को अवैध घोषित करने की साजिश रच रहा है। प्रदर्शन को देखते हुए कोर्ट परिसर में भारी सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं।
राष्ट्रपति से सलाह के बाद मुख्य न्यायाधीश ने सौंपा इस्तीफा
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने देश भर में शीर्ष अदालत और निचली अदालतों के न्यायाधीशों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पद छोड़ने का फैसला किया है। ओबैदुल हसन ने कहा था कि वे आज शाम तक राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को अपना इस्तीफा भेज देंगे। दूसरी ओर, प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखेंगे।
न्यायपालिका पर क्यों भड़के छात्र?
दरअसल, खबर आई थी कि मुख्य न्यायाधीश ने फुल कोर्ट मीटिंग बुलाई है। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया की मुख्य न्यायाधीश अंतरिम सरकार को अवैध घोषित करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके बाद प्रदर्शनकारी भड़क गए। अब्दुल मुकद्दिम नामक एक छात्र ने कहा, "फासीवादी अंतरिम सरकार को अवैध घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए हम मुख्य न्यायाधीश को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर रहे हैं।"
शेख हसीना के करीबी माने जाते हैं मुख्य न्यायाधीश हसन
हसन बीते साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के 24वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। उन्हें शेख हसीना का करीबी माना जाता है। हसन के पिता डॉक्टर अखलाकुल हुसैन अहमद बांग्लादेश की मुक्ति संग्राम में शामिल थे और संविधान सभा के सदस्य के रूप में बांग्लादेश के संविधान के निर्माण में भी उनका योगदान था। हसन ने 1986 में जिला न्यायालय के वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी।
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन
बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में मिलने वाले आरक्षण को लेकर जून से लगातार प्रदर्शन हो रहे थे। 5 अगस्त की शाम प्रदर्शन हिंसक होने के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और भारत आ गई थीं। नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। सरकार में छात्र नेता नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद को भी जगह मिली है, जिन्होंने आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों में अहम भूमिका निभाई थी।