
#NewsBytesExplainer: इंटरनेट शटडाउन क्या है और यह कैसे काम करता है?
क्या है खबर?
हरियाणा के नूंह में भड़की हिंसा गुरुग्राम तक फैल गई है। इस बवाल में कुछ लोगों की जान गई और कई घायल हो गए हैं।
हिंसा पर काबू पाने के लिए कर्फ्यू लगाने, धारा 144 लागू करने, पैरामिलिट्री की कंपनियां तैनात करने जैसे उपायों के साथ ही कुछ इलाकों में इंटरनेट सस्पेंड या शटडाउन कर दिया गया है।
आइये जानते हैं कि इंटरनेट शटडाउन क्या होता है और यह कैसे काम करता है।
घटना
दंगों के दौरान इंटरनेट का इस तरह होता है इस्तेमाल
पिछले कुछ समय से किसी घटना के बड़े दंगे में बदलने की आशंका और दंगे पर काबू पाने के लिए इंटरनेट शटडाउन का सहारा लिया जा रहा है।
दरअसल, दंगों के दौरान साजिशकर्ता जानबूझकर और आम जनता अनजाने में व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर (अब X) आदि सोशल मीडिया माध्यमों के जरिए झूठी जानकारियां फैलाते हैं।
साजिशकर्ता भड़काऊ भाषण के वीडियो शेयर करने से लेकर लोगों को इकट्ठा करने, गैरकानूनी सभा करने के लिए इंटरनेट आधारित प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल करते हैं।
इंटरनेट
शटडाउन के दौरान लोग नहीं इस्तेमाल कर पाते इंटरनेट
ऐसे में दंगा प्रभावित इलाकों में इंटरनेट शटडाउन किए जाने से वहां के लोगों की इंटरनेट सर्विस बंद कर दी जाती है।
शटडाउन के दौरान लोग किसी भी तरह के नेटवर्क और ब्रांडबैंड इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर पाते।
इंटरनेट बंद होने से इंटरनेट आधारित सभी ऐप्स या सर्विस काम करना बंद कर देती हैं। इंटरनेट शटडाउन का निर्णय केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा लिया जा सकता है।
शटडाउन
क्या होता है इंटरनेट शटडाउन?
डिजिटल स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्य करते वाली संस्था 'सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर' ने वर्ष 2018 में इंटरनेट शटडाउन को परिभाषित करते हुए लिखा था कि समय की एक निश्चित अवधि के लिये सरकार द्वारा एक या एक से अधिक इलाकों में इंटरनेट पर पहुंच को अक्षम करना इंटरनेट शटडाउन कहलाता है।
इंटरनेट शटडाउन हमेशा किसी एक विशेष क्षेत्र में लागू किया जाता है, जिसके चलते उस क्षेत्र विशेष के सभी लोग इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर पाते हैं।
कनेक्टिविटी
इन तरीकों से होता है इंटरनेट शटडाउन
इंटरनेट शटडाउन के लिए सरकारें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडरों (ISPs) को एक निश्चित क्षेत्र में नेटवर्क कनेक्टिविटी को प्रतिबंधित करने के लिए कहती हैं।
ISPs उस क्षेत्र में इंटरनेट सर्विस बंद करने के लिए कई उपाय कर सकते हैं। वे वेबसाइटों और सर्वरों के IP एड्रेस को ब्लॉक कर सकते हैं। इससे यूजर्स उन वेबसाइट और ऐप्स को एक्सेस नहीं कर पाएंगे।
इसके अलावा इंटरनेट शटडाउन करने के लिए DNS ब्लॉकिंग, स्पीड थ्रॉटलिंग और ब्लैकलिस्टिंग जैसे कई अन्य उपाय भी हैं।
ट्रैक
लोकेशन डाटा के जरिए ISPs ट्रैक करती हैं लोकेशन
लोगों के मन में एक सवाल आ सकता है कि ISPs को कैसे पता चलता है कि आप इंटरनेट शटडाउन वाले क्षेत्र में हैं। इस जानकारी के लिए ISPs आपका फोन नंबर और लोकेशन डाटा इस्तेमाल कर ट्रैक करती हैं।
उन्हें जैसे ही पता चलता है कि आप शटडाउन वाले क्षेत्र में हैं वो आपकी इंटरनेट एक्सेस बंद करदेती हैं।
कुछ मामलों में सरकारें 3G और 4G सर्विस बंद कर देती हैं और 2G सर्विस चालू रहती है।
मिस्त्र
वर्ष 2011 में हुआ था पहला बड़ा इंटरनेट शटडाउन
दुनिया का ध्यान खींचने वाला पहला बड़ा इंटरनेट शटडाउन वर्ष 2011 में मिस्र में हुआ था। इसके अलावा अन्य देश भी इंटरनेट शटडाउन करते रहे हैं।
इंटरनेट एडवोकेसी वॉचडॉग एक्सेस नाउ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने साल 2022 में कम से कम 84 बार इंटरनेट बंद किया।
यह लगातार पांचवां साल था, जब इंटरनेट शटडाउन करने वाले देश की लिस्ट में भारत सबसे ऊपर रहा।
नुकसान
इंटरनेट शटडाउन से होता है आर्थिक नुकसान
किसी भी क्षेत्र या राज्य में इंटरनेट सर्विस बंद किए जाने से उन क्षेत्रों को आर्थिक नुकसान भी होता है। इंटरनेट शटडाउन से वित्तीय लेनदेन और अन्य बिजनेस प्रभावित होते हैं।
वर्ष 2021 में भारत में कुल 1,157 घंटे के इंटरनेट शटडाउन से लगभग 4,300 करोड़ रुपए का नुकसान आंका गया था।
इंटरनेट शटडाउन को किसी भी क्षेत्र या राज्य के लिए सही नहीं माना जाता है। इसे मानवाधिकार का हनन भी बताया जाता है।