सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को थोड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने नियुक्ति और इससे संबंधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि रोक लगाने से केवल अराजकता फैलेगी। कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून पर रोक लगाने की मांग करने वाले आवेदन को भी खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा- कानून पर रोक लगाने से अराजकता फैलेगी
कोर्ट ने कहा, "आप यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग कार्यपालिका के अधीन है। इस स्तर पर हम कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं। इससे केवल अराजकता और अनिश्चितता पैदा होगी। आम तौर पर हम अंतरिम आदेश के माध्यम से किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं। सरकार ने कानून बनाया है और जब कोर्ट का फैसला आया था, तब ये नहीं था। ऐसे में नियुक्तियों पर रोक नहीं लगा सकते।"
नए चुनाव आयुक्तों पर कोई आरोप नहीं- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि हाल ही में नियुक्त किए गए चुनाव आयुक्तों पर कोई आरोप नहीं हैं, जिन्हें नए कानून के तहत नियुक्ति किया गया है। कोर्ट ने कहा, "जिन लोगों को नियुक्त किया गया है, उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं। अब उनकी नियुक्ति हो चुकी है, चुनाव नजदीक है। यह सुविधा के संतुलन का सवाल है।" कोर्ट ने कानून को रद्द करने की मांग करने वाली मुख्य याचिकाओं पर आगे विचार करने की बात कही।
आयुक्तों की नियुक्ति में जल्दबाजी पर सरकार को लगी फटकार
कोर्ट ने आयुक्तों की नियुक्ति में जल्दबाजी पर सरकार को फटकारते हुए कहा कि सभी नामों की जांच के लिए 2-3 दिन का अवसर दिया जा सकता था। पीठ ने कहा, "एक रिक्ति के लिए 5 नाम हैं। रिकार्ड से तो यही प्रतीत होता है। समिति 200 नामों पर विचार कर सकती है, लेकिन समय क्या दिया गया है? शायद 2 घंटे? 2 घंटे में 200 नामों पर विचार कैसे होगा? आप पारदर्शी हो सकते थे।"
नए कानून को लेकर क्या विवाद है?
मार्च, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक समिति करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश (CJI) शामिल होंगे। इसके बाद सरकार पिछले साल मानसून सत्र के दौरान एक अधिनियम लेकर आई। इसके जरिए समिति में CJI की जगह एक केंद्रीय मंत्री को जगह दी गई। विपक्ष ने इस पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि इससे सरकार अपनी मर्जी के चुनाव आयुक्त नियुक्त कर सकेगी।