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    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बोले- आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य करना गैर-कानूनी
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    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बोले- आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य करना गैर-कानूनी

    लेखन प्रमोद कुमार
    May 12, 2020 | 09:47 am 1 मिनट में पढ़ें
    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बोले- आरोग्य सेतु ऐप को अनिवार्य करना गैर-कानूनी

    सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा ने कहा है कि सरकार का आरोग्य ऐप को अनिवार्य करना 'पूरी तरह से गैर-कानूनी' है। उन्होंने पूछा कि किस कानून के तहत इसे अनिवार्य किया गया है? अभी तक इसके लिए कोई कानून नहीं है। जस्टिस (रिटायर्ड) श्रीकृष्णा डाटा प्रोटेक्शन बिल का पहला ड्राफ्ट बनाने वाली कमेटी के प्रमुख थे। उनका बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र ने सभी कर्मचारियों के लिए यह ऐप अनिवार्य कर दी है।

    नोएडा में ऐप न रखना दंडनीय अपराध

    एक मई को गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन की गाइडलाइंस जारी करते हुए सभी सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया था। इसके अलावा सरकार ने स्थानीय प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि कंटेनमेंट जोन में रहने वाले सभी लोग यह ऐप डाउनलोड करें। इसके बाद नोएडा पुलिस ने आदेश जारी कर कहा था कि अगर किसी के स्मार्टफोन में ऐप नहीं होगी तो यह दंडनीय अपराध माना जाएगा।

    "अदालत में दी जा सकती है आदेश को चुनौती"

    इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा, "नोएडा पुलिस का यह आदेश पूरी तरह अवैध है। मैं मान रहा हूं कि भारत लोकतांत्रिक देश है और ऐसे आदेशों को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है।" उन्होंने कहा कि़ लॉकडाउन की गाइडलाइंस नागरिकों के लिए आरोग्य सेतु को अनिवार्य करने का कानूनी आधार नहीं हो सकती। याद दिला दें कि कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी भी इस ऐप को लेकर सवाल उठा चुके हैं।

    180 दिनों तक सरकार के पास रहेगा यूजर का डाटा

    दूसरी तरफ ऐप की सुरक्षा और निजता के हक को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सरकार ने सोमवार को इसका प्रोटोकॉल जारी किया। इसमें बताया गया है कि ऐप पर रजिस्टर होने के 180 दिन बाद यूजर का डाटा 'परमानेंटली' डिलीट कर दिया जाएगा। हालांकि, कोरोना वायरस का प्रोटोकॉल खत्म होने तक यूजर का डेमोग्राफिक डाटा सरकार अपने पास रख सकती है। यूजर नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर से मांग कर भी अपना डाटा डिलीट करवा सकता है।

    कौन इस्तेमाल कर सकता है आरोग्य सेतु का डाटा?

    सरकार का कहना है कि स्वास्थ्य संंबंधी सेवाओं के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा राहत प्रबंधन, राज्य आपदा राहत प्रबंधन, स्थानीय प्रशासन और कोई भी दूसरा सरकारी विभाग आरोग्य सेतु ऐप द्वारा जुटाए गए डाटा का इस्तेमाल कर सकता है। साथ ही प्रोटोकॉल में कहा गया है कि स्वास्थ्य संंबंधी सेवाएं देने के लिए जब तक जरूरी नहीं होगा, तब तक किसी थर्ड पार्टी के साथ ऐप का डाटा शेयर नहीं किया जाएगा।

    महामारी के खिलाफ लड़ाई में कारगर हथियार बनी ऐप- साहनी

    कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए गठित किए शक्ति प्राप्त समूह 9 के प्रमुख अजय साहनी ने कहा कि लोगों को कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आने की जानकारी देने के लिए आरोग्य सेतु ऐप बनाई गई है और इस लड़ाई में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साहनी ने कहा कि कोरोना वायरस के 697 संभावित हॉटस्पॉट के बारे में जानकारी आरोग्य सेतु के जरिये जुटाई गई और यह ऐप पूरी तरह सुरक्षित है।

    1.4 लाख यूजर्स को भेजा गया संभावित खतरे का अलर्ट

    साहनी ने बताया कि लगभग 1.4 लाख आरोग्य सेतु ऐप यूजर्स को कोरोना वायरस संक्रमितों के नजदीक आने पर होने वाले संभावित खतरे के बारे में अलर्ट किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि यह ऐप जल्द ही 10 करोड़ डाउनलोड का आंकड़ा पार कर लेगी। फिलहाल नौ करोड़ से ज्यादा यूजर्स ने इसे अपने स्मार्टफोन में डाउनलोड कर लिया है। सरकार जियो फोन के लिए भी इसके अलग वर्जन पर काम कर रही है।

    क्या है आरोग्य सेतु ऐप और कैसे करें इस्तेमाल?

    आरोग्य सेतु को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह यूजर को बता देती है कि वह किसी कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है नहीं। इसकी ट्रेकिंग ब्लूटूथ और लोकेशन जनरेटेड ग्राफ के जरिये की जाती है। इसके जरिये ही यह आपके संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या न आने की जानकारी देती है। ऐप और इसके इस्तेमाल के तरीके के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप यहां टैप कर सकते हैं।

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