महाराष्ट्र: खिलाफ रिपोर्ट लिखने पर भूमि कारोबारी ने पत्रकार को कुचलकर मारा, हत्या का केस
महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में 48 वर्षीय पत्रकार शशिकांत वारिशे को थार से कुचलने के मामले में लोगों की नाराजगी बढ़ती दिख रही है। पुलिस ने आरोपी भूमि कारोबारी पंढरीनाथ अंबरकर के खिलाफ पहले गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था, लेकिन तमाम पत्रकार संगठनों की मांग के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले को लेकर लोग निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है।
कारोबारी के खिलाफ रिपोर्ट लिखने पर की गई हत्या
जानकारी के मुताबिक, वारिशे ने महानगरी टाइम्स अखबार में सोमवार को एक लेख लिखकर अंबरकर को रत्नागिरी रिफाइनरी का समर्थक बताते हुए अपराधी के रूप में वर्णित किया था और कहा था कि अंबरकर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैनर हैं। आरोप है कि वारिशे स्थानीय भूमि कारोबारी अंबरकर के खिलाफ लगातार रिपोर्ट लिख रहे थे, इसलिए उन्हें पेट्रोल पंप पर कुचला गया।
क्या है रत्नागिरी रिफाइनरी का मामला?
रत्नागिरी रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना को तटीय कोंकण जिले के नानर गांव में बनाया जाना था, लेकिन 2019 के चुनाव से पहले भाजपा के तत्कालीन गठबंधन सहयोगी शिवसेना के आग्रह पर इसे रद्द कर दिया गया। पिछले साल एक केंद्रीय मंत्री ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइनरी संयंत्र बताया था और इसे एक नई जगह लगाने की बात कही थी। परियोजना में भूमि अधिग्रहण को लेकर स्थानीय लोगों में काफी विरोध है और आरोपी अंबरकर परियोजना का समर्थक है।
तमाम पत्रकार संगठन उतरे विरोध में
मुंबई प्रेस क्लब ने बुधवार शाम को कहा, "क्रूर सार्वजनिक हत्या ने नागरिक स्वतंत्रता और बोलने की स्वतंत्रता के गिरते मानकों और सरकारी और गैर-सरकारी पक्षों द्वारा असुविधा होने पर किसी मीडिया रिपोर्ट को कुचलने का बेशर्म प्रयास उजागर किया है।" क्लब का आरोप है कि अंबरकर को अधिग्रहण का विरोध करने वालों को धमकाने और परेशान करने के लिए जाना जाता है। मराठी पत्रकार परिषद के सदस्यों ने गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलकर निष्पक्ष जांच की मांग की है।
14 फरवरी तक हिरासत में रहेगा आरोपी अंबरकर
पुलिस ने आरोपी पंढरीनाथ अंबरकर के खिलाफ पहले धारा 304 के तहत गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन तमाम विरोध के बाद 302 के तहत हत्या की धारा जोड़नी पड़ी। आरोपी को 13 फरवरी तक के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया है। मामले में मानवाधिकार संगठन पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी ने किसी प्रभाव से मुक्त पूरी तरह से स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए पत्रकार के परिवार के लिए सुरक्षा मांगी है।