जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी के बाद कानून व्यवस्था में हुआ सुधार
क्या है खबर?
केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A को वापस लिए आज तीन साल हो गए हैं।
सरकार के इस कदम से इन तीन सालों में केंद्र शासित प्रदेश की कानून व्यवस्था और सुरक्षा की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसके अलावा हिंसा और नागरिकों की हत्या की घटनाओं में भी कमी आई है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय और जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों में इसका खुलासा हो रहा है।
पृष्ठभूमि
5 अगस्त, 2019 को हटाया गया था अनुच्छेद 370
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 और 35A को खत्म कर दिया था।
इसके अलावा राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था।
इसके बाद अक्टूबर, 2020 में केंद्र सरकार ऐसा कानून लेकर आई जिसके जरिए बाहरी लोगों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने की इजाजत दी गई।
इस कानून को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश, 2020 कहा गया।
तुलना
कानून व्यवस्था की घटनाओं में आई 600 प्रतिशत की कमी
जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर कानून व्यवस्था को लेकर 2016-2018 और 2019-2021 की तुलना का डाटा प्रस्तुत किया गया है।
इसके अनुसार, पिछले तीन सालों में केंद्र शासित प्रदेश में कानून व्यवस्थाओं की घटनाओं में 600 प्रतिशत की कमी आई है।
साल 2016-2018 के बीच यहां कानून व्यवस्था से जुड़ी 4,894 घटनाएं हुई थी, लेकिन अनुच्छेद 370 की वापसी के तीन सालों में इन घटनाओं की संख्या महज 804 ही रह गई है।
आतंकी घटनाएं
आतंकी घटनाओं में आई 21 प्रतिशत की कमी
पुलिस के डाटा के अनुसार, पिछले तीन सालों में आतंकी घटनाओं में 21 प्रतिशत की कमी आई है।
साल 2016-2018 के कुल 919 आतंकी घटनाएं हुई थी, जो पिछले तीन सालों में 727 रह गई। इसी तरह 31 जुलाई, 2022 तक 166 आतंकवादी (86 स्थानीय और 80 विदेशी नागरिक) सक्रिय हैं।
डाटा कहता है कि साल 2021 में 44 शीर्ष आतंकी कमांडर मारे गए और इस साल 18 शीर्ष आतंकवादी कमांडर अब तक मारे गए हैं।
शहीद
शहीद होने वाले जवानों की संख्या में भी आई कमी
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2016 से 2019 तक कश्मीर में आतंकी घटनाओं में सुरक्षा बलों के कुल 290 जवान शहीद हुए थे, लेकिन उसके बाद के तीन सालों में यह संख्या 174 रह गई है।
इसी तरह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद नागरिकों की हत्याओं में भी कमी आई है।
कश्मीर में साल 2016 से 2019 तक आतंकी घटनाओं में कुल 191 नागरिक मारे गए थे, जो अगले तीन वर्षों में घटकर 110 रह गए।
जानकारी
पुलिसकर्मियों की मौतों में भी आई है कमी
पिछले तीन सालों में कश्मीर में पुलिसकर्मियों की हत्या की घटनाओं में 51 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले तीन सालों में हुई 46 पुलिसकर्मियों की हत्या की तुलना में 5 अगस्त, 2016 से 4 अगस्त, 2019 तक 93 पुलिसकर्मियों की हत्या की गई थी।
सबसे ज्यादा
सेना ने मारे लश्कर-ए-तैयबा के सबसे अधिक आतंकी
पुलिस के डाटा के अनुसार, 2021 से अब तक सेना ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सबसे अधिक 37 आतंकियों को मौत के घाट उतारा है।
इसी तरह जैश-ए-मोहम्मद के 15, हिजबुल मुजाहिदीन के नौ शीर्ष कमांडरों सहित कुल 62 आतंकियों का सफाया किया है।
सुरक्षा बलों की इस कार्रवाई से प्रदेश के लोगों में भी विश्वास जगा है और वह अब पुलिस और जवानों पर भी भरोसा करने लगे हैं।
काला दिवस
पाकिस्तान में मनाया काला दिवस
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेर 370 हटाए जाने के दिन को पाकिस्तान ने काला दिवस के रूप में मनाया है। इसके अलावा अलगाववादियों ने प्रदेश में बंद के आह्वान किया था। इसके बाद भी घाटी में स्थिति सामान्य है।
हालांकि, सोपोर में विद्रोहियों ने सरकार विरोधी पोस्टर लगाए थे, लेकिन उन्हें हटा दिया गया। इसी तरह गुरुवार रात को पुलवामा में बिहार के एक मुस्लिम मजदूर पर ग्रेनेड हमला किया गया था। उसके बाद जवानों ने स्थिति संभाल ली।