जम्मू-कश्मीर: 20,000 बिजली कर्मचारी हड़ताल पर, मदद के लिए प्रशासन को बुलानी पड़ी सेना
बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के चलते जम्मू-कश्मीर में रविवार को कई जरूरी सेवाएं प्रभावित हुईं और केंद्र शासित प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा अंधेरे में डूबा रहा। हालात संभालने के लिए प्रशासन को सेना बुलानी पड़ी है। वेतन में देरी और संपत्ति को बेचने के विरोध में बिजली निगम के 20,000 से अधिक लाइनमैन और इंजीनियर शनिवार से हड़ताल पर हैं। इसके चलते बिजली वितरण और दूसरी जरूरी सेवाएं संभालने के लिए भारतीय सेना की मदद ली गई है।
सेना के जवानों की मदद से बहाल हुई आपूर्ति
रविवार को जम्मू संभाग के आयुक्त ने रक्षा मंत्रालय और 9 और 16 कोर के जनरल ऑफिसर्स कमांडिंग (GOC) को पत्र भेजकर सैन्यकर्मियों को भेजने की मांग की थी। उन्होंने अने पत्र में लिखा कि बिजली और पानी आपूर्ति बहाल करने के लिए उन्हें कार्यबल की जरूरत है और इसके लिए वो सेना की मदद मांग रहे हैं। इसके बाद कई बिजली और पानी स्टेशनों पर सेना के जवान पहुंचे और आपूर्ति बहाल करने में अधिकारियों की मदद की।
उधमपुर का सरकारी अस्पताल भी हुआ प्रभावित
जम्मू के उधमपुर जिले में सरकारी अस्पताल की बिजली आपूर्ति भी बाधित हुई। इसी तरह के हालात कश्मीर संभांग में भी देखे गए, जहां राजधानी श्रीनगर समेत कई इलाके पूरी रात अंधेरे में डूबे रहे। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मुख्य इंजीनियर अश्वनी सचदेवा ने कहा, "हमारे हाथ में कुछ नहीं है। अलग-अलग इलाकों में बिजली आपूर्ति को बाधित करने वाले फॉल्ट्स की मरम्मत करने के लिए कोई नहीं है।"
सफल नहीं हो सकी बातचीत
रविवार को प्रशासन ने हड़ताल कर रहे कर्मचारियों के साथ बातचीत की थी, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ पाई। इसके बाद संभावना जताई जा रही है कि हड़ताल अभी जारी रहेगी और बिजली और पानी की आपूर्ति अभी प्रभावित रह सकती है।
हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का क्या कहना है?
हड़ताल की अगुवाई कर रहे जम्मू-कश्मीर पावर एम्पलॉईज एंड इंजीनियर्स कॉर्डिनेशन कमेटी के प्रमुख जयपाल शर्मा ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश का वित्त विभाग एक आदेश जारी कर्मचारियों को सरकारी खजाने से वेतन जारी करने का आदेश दे सकता है। इन कर्मचारियों को कॉर्पोरेशन में डेपुटेशन पर भेजे गए सरकारी कर्मचारियों की तरह देखा जा सकता है। उन्होंने कहा, "2019 के बाद से हमें दिवाली जैसे त्योहारों पर भी वेतन नहीं दिया गया है।"
प्रशासन क्या कह रहा है?
जम्मू पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंधक निदेशक शिवानंद ने कहा कि प्रशासन ने जॉइंट वेंचर को अभी के लिए स्थगित करने का फैसला लिया है और कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने की बात कही है, लेकिन अब हड़ताल कर रहे कर्मचारी यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें पुराने सिस्टम की तरह सरकारी खजाने से वेतन दिया जाए। केंद्र शासित प्रदेश में बिजली विभाग में सुधार को देखते हुए यह संभव नहीं है।
4 दिसंबर से शुरू हुआ था मामला
4 दिसंबर को केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PTCL) और पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PTDL) के पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन में विलय का ऐलान किया था। हड़ताल कर रहे कर्मचारी इसे केंद्र शासित प्रदेश की संपत्ति को 'बेचने' के तौर पर देखते हुए इसका विरोध कर रहे हैं। ये दोनों ही कॉर्पोरेशन अगस्त, 2019 में जम्मू-कश्मीर पावर डेवलेपमेंट डिपार्टमेंट के बंटवारे के बाद अस्तित्व में आए थे, जब जम्मू-कश्मीर को दो भागों मे बांटा गया था।