अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद जमीन की कीमतों में आया बड़ा उछाल
उत्तर प्रदेश के अध्योध्या में लाखों की हिंदुओं की आस्था के प्रतीक श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन होने के महज एक महीने बाद ही वहां जमीन की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिला है। वर्तमान बढ़ती जमीन की कीमतें बताती है कि अयोध्या नगरी में कोरोना महामारी के लॉकडाउन से बिगड़ी अर्थव्यवस्था का कोई असर नहीं पड़ा है। बता दें कि यहां सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2019 में दिए गए ऐतिहासिक फैसले के बाद जमीन की कीमतें बढ़ी हैं।
अयोध्या में लोकप्रियता के अनुसार नहीं हुआ बुनियादी सुविधाओं का विकास
अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के कारण दशकों तक भारत के सामाजिक-राजनीतिक मुद्दा बना रहा, लेकिन इसके खराब बुनियादी ढांचे ने कभी भी इसे महत्वपूण संपत्ति नहीं बनाया। हालांकि, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे "भारत का वेटिकन" बनाने की योजना के साथ इसे महत्वपूर्ण स्थान बनाने का प्रयास किया हैं। अब बिना होटल और अन्य सुविधाओं वाले अयोध्या में जल्द ही लक्जरी होटल, रेस्टोरेंंट और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाया जा सकता है।
अयोध्या 2,000-3,000 प्रति वर्ग फीट पर पहुंची जमीनों की कीमत
प्रॉपर्टी डीलर ऋषि टंडन ने बताया कि शहर के अंदरूनी इलाकों में जमीन की कीमतें 1,000-1,500 रुपय प्रति वर्ग फीट चल रही है। इसी तरह मुख्य शहर में कीमत 2,000-3,000 रुपये प्रति वर्ग फीट के बीच पहुंच गई है। टंडन ने TOI को बताया, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या शहर में 900 रुपये प्रति वर्ग फीट से कम में आसानी से जमीन मिल जाती थी। इसी तरह सीमा पर जमीनों की कीमत 300-450 रुपये प्रति वर्ग फीट थी।"
भगवान राम की प्रतिमा स्थापित किए जाने वाले गांव में भी बढ़ी कीमतें
गौरतलब है कि अयोध्या के पास जिस गांव में भगवान श्रीराम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी, वहां भी जमीनों की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। इस परियोजना की घोषणा मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सालों पहले ही कर दी थी, लेकिन अभी तक भूमि अधिग्रहण का काम नहीं हुआ है। इससे पहले राज्य सरकार ने एक नोटिस दिया था कि इस प्रतिमा के लिए 86 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी और इससे करीब 125 परिवार प्रभावित होंगे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बढ़ी जमीनों की मांग
अयोध्या में जमीनों की कीमत में साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही बढ़ने लगी है। दशकों पुराने मामले को खत्म करते हुए शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि विवादित 2.77 एकड़ भूमि मंदिर के निर्माण के लिए दी जानी चाहिए। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया था। फैसले के बाद अयोध्या में सालों से रहे लोगों को जमीन बेचने के प्रस्ताव मिलने लग गए थे।
हिंदु-मुस्लिम परिवारों ने सालों पहले बहुत सस्ते दामों पर बेच दी थी जमीन
एक प्रॉपर्टी डीलर मोहम्मद इरफान ने फोर्ब्स इंडिया को बताया कि विवाद के कारण हिंदू और मुस्लिमों परिवारों ने सालों पहले ही अयोध्या को छोड़ दिया था और अपनी जमीनें बहुत सस्ते दामों पर बेच दी थी। अब जमीन की कीमतें कई गुना बढ़ गई है। अयोध्या निवासी अनिल कुमार ने बताया कि कई लोगों ने उसने रुदौली में अपनी संपत्ति बेचने की बात कही है। पहले उन्हें खरीदारों के लिए विज्ञापन देना होता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई।
सोने की खान के रूप में देखा जा रहा है अयोध्या
लखनऊ स्थित वास्तुकार अंबरीश सईद ने कहा, "पहले लोग विवाद के कारण संपत्ति खरीदने से बचते थे, लेकिन अब लखनऊ में कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। अब अयोध्या पर ध्यान केंद्रित हैं। इसे सोने की खान के रूप में देखा जा रहा है।"
संपत्ति की बढ़ती कीमतों के बीच विशेषज्ञों ने कही सावधानी बरतने की बात
अयोध्या में बढ़ती जमीन की मांग को देखते हुए जिला प्रशासन ने भूमि रजिस्ट्री प्रतिबंधों की शुरुआत कर दी है। TOI की रिपोर्ट के अनुसार कई लोग धर्मशालाओं और सामुदायिक रसोई की स्थापना के लिए धार्मिक उद्देश्यों के लिए जमीन खरीदना चाहते हैं। इसी बीच अवध विश्वविद्यालय के कार्यकारी सलाहकार ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि बढ़ती जमीन की कीमतों के बीच सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बेनामी संपत्तियों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।