अयोध्या में राम मंदिर को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने दिया बड़ा बयान, कही यह बात
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नासिक में एक रैली में राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने राम मंदिर मामले में बयान दे रहे नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में जो 'बयानबहादुर' लगातार भाषण दे रहे हैं वो चुप्पी साधें और अदालत पर विश्वास रखें।
उन्होंने कहा कि ऐसे बयान देने वाले नेता प्रभुराम के खातिर आंख बंद कर भारत की न्यायप्रणाली के प्रति श्रद्धा रखें।
भाषण
नागरिकों को करना चाहिए सुप्रीम कोर्ट का सम्मान- प्रधानमंत्री
महाराष्ट्र के नासिक में रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले दो-तीन सप्ताह से कुछ बयान बहादुर लोग राम मंदिर को लेकर अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं। मैं देशभर के बयान बहादुरों और बड़बोले लोगों से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि प्रभु श्रीराम की खातिर भारत की न्याय प्रणाली के प्रति अपनी श्रद्धा रखें।"
उन्होंने कहा कि देश के सभी नागरिकों को सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करना चाहिए और देश की न्याय-प्रणाली पर भरोसा करना चाहिए।
ट्विटर पोस्ट
यहां सुनिये प्रधानमंत्री मोदी का पूरा बयान
पिछले दो-तीन सप्ताह से कुछ बयान बहादुर लोग राम मंदिर को लेकर अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं।
— BJP (@BJP4India) September 19, 2019
मैं देशभर के बयान बहादुरों और बड़बोले लोगों से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि प्रभु श्रीराम की खातिर भारत की न्याय प्रणाली के प्रति अपनी श्रद्धा रखें : पीएम #MahaJanadeshWithModi pic.twitter.com/jsapW3OFQg
विवादित बयान
भाजपा के मंत्री दे चुके हैं विवादित बयान
बुधवार को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में आएगा। लोगों को इसका भरोसा है और देश का भी यही भरोसा है।
उनसे पहले उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा था, "अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हमारा संकल्प है। सुप्रीम कोर्ट हमारा है, न्यायपालिका, यह देश और मंदिर भी हमारा है।"
बता दें, सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले में रोजाना सुनवाई चल रही है।
सुनवाई
18 अक्तूबर तक पूरी होगी अयोध्या मामले की सुनवाई
प्रधानमंत्री का यह बयान सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आया है, जिसमें कोर्ट ने अयोध्या में विवादित जमीन मामले की सुनवाई 18 अक्तूबर तक खत्म करने को कहा है।
मामले में मध्यस्थता दोबारा शुरू करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI गोगोई ने ये बात कही।
गोगोई की बेंच ने कहा कि मध्यस्थता सुनवाई के साथ-साथ चल सकती है और अगर इसके जरिए कोई समाधान होता है तो इसके बारे में उन्हें सूचित किया जाए।
मध्यस्थता
मध्यस्थता समिति ने जताई दोबारा मध्यस्थता शुरू करने की इच्छा
बीते सप्ताह मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में फिर से मध्यस्थता शुरू की इजाजत मांगी थी।
दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने मध्यस्थता समिति को पत्र लिखकर फिर से मध्यस्थता शुरू करने का आग्रह किया था।
आपसी सहमति से विवाद को सुलझाने की निर्वाणी अखाड़ा की बात का मामले में दूसरे पक्ष निर्मोही अखाड़ा ने समर्थन किया था।
इसके बाद समिति ने मेमोरेंडम के जरिए सुप्रीम कोर्ट को इसकी सूचना दी।
मध्यस्थता
सुप्रीम कोर्ट ने दी मध्यस्थता दोबारा शुरू करने की इजाजत
बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि वो 18 अक्तूबर तक मामले की सुनवाई पूरी कर लेंगे और तब तक मध्यस्थता की कोशिश जारी रखी जा सकती है।
बेंच ने कहा, "अगर पक्षकार मध्यस्थता के जरिए विवाद को सुलझाना चाहते हैं तो वो ऐसा कर सकते हैं।"
कोर्ट ने आदेश दिया है कि बातचीत के जरिए अगर कोई समाधान निकलता है तो उसे सूचित किया जाए।
विवाद
क्या है अयोध्या विवादित जमीन मुद्दा?
अयोध्या में मुख्य विवाद 2.7 एकड़ जमीन को लेकर है।
2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था।
2-1 के बहुमत से सुनाए गए इस फैसले में जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड (मुस्लिम पक्ष), राम लला (हिंदू पक्ष) और निर्मोही अखाड़ा में बांटा था।
इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट तब से इस पर सुनवाई कर रहा है।