उत्तर प्रदेश सरकार ने खुले ट्रक में शवों के साथ घायल मजदूरों को किया झारखंड रवाना
देश में चल रहे लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। घर जाने की चाहत में ये प्रवासी मजदूर पैलद, साइकिल और अन्य साधनों से जाने को मजबूर हैं और इस दौरान हो रहे हादसों में मजदूरों की मौत भी हो रही है। इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार का अमानवीय चेहरा सामने आया है। औरैया हादसे में 24 मजदूरों की मौत होने के बाद प्रशासन ने झारखंड के शवों को खुले ट्रक में भरकर रवाना कर दिया।
औरैया हादसे में हुई थी 24 प्रवासी मजदूरों की मौत
बता दें कि 16 मई को औरैया में मजदूरों से भरे दो ट्रक देर रात करीब 02:45 बजे आपस में टकरा गए थे। इसमें 24 मजदूरों की मौत हो गई थी, जबकि 40 घायल हुए थे। बताया गया कि अधिकतर की मौत उनके मुंह और नाक में चूना घुसने की वजह से हुई। इनमें से 17 शवों को 3 ट्रकों में भरकर झारखंड के बोकारो और पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा था। इनमें से 12 शव झारखंड के थे।
शवों के साथ घायल मजदूरों को भी खुले ट्रक में किया रवाना
औरैया के अधिकारियों की अमानिवयता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने न केवल शवों को खुले ट्रक में भेजा, बल्कि हादसे में घायल हुए मजदूरों को भी उनके साथ ही झारखंड के लिए रवाना कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि इन शव और मजदूरों की कोरोना जांच भी नहीं की गई थी। ऐसे में यह बड़ी लापरवाही मानी जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस अमानवीय चेहरे की अब जमकर आलोचना हो रही है।
झारखंड के मुख्यमंत्री ने घटना को अमानवीय करार दिया
झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले पर ट्वीट करते हुए अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने इस घटना को अमानवीय करार देते हुए ट्वीट किया, 'यह स्थिति अमानवीय और अत्यंत संवेदनहीन है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील है कि शवों को सम्मान के साथ झारखंड बॉर्डर तक भेज दिया जाए।' इसके बाद हरकत में आए अधिकारियों ने शवों को अन्य वाहनों में शिफ्ट किया।
मुख्यमंत्री सोरेन ने की मृतक और घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा
मामले में मुख्यमंत्री सोरेन ने राज्य के अधिकारियों को शवों के झारखण्ड की सीमा में प्रवेश करते ही उनके घर तक पहुंचाने का उचित इंतजाम करने तथा घायलों का उचित इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा उन्होंने औरैया हादसे में जांन गंवाने वाले राज्य के सभी लोगों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये और घायलों को 50,000-50,000 रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। उन्होंने इस घटना पर दुख भी जताया है।
प्रयागराज में शवों को खुले ट्रक से एंबुलेंस में किया शिफ्ट
मुख्यमंत्री सोरेन के ट्वीट करने के बाद हरकत में आई उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्रकों को प्रयागराज में दिल्ली-हावड़ा नेशनल हाईवे पर रोक लिया। इस दौरान पूरे हाइवे को छावनी में तब्दील कर दिया गया और एक तरफ के रास्ते के ब्लॉक कर दिया गया। बाद में एंबुलेंस आने पर सभी शवों को खुले ट्रकों से उनमें शिफ्ट कर झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए रवाना किया गया। इस घटना ने प्रवासी मजदूरों की बेबसी को उजागर किया है।
पांच घंटे तक हाईवे पर खड़े रहे ट्रक
शवों को एम्बुलेंस में शिफ्ट करने के लिए ट्रकों को करीब पांच घंटे तक हाईवे पर खड़ा रखा गया था। एक ट्रक ड्राइवर ने बताया कि शवों से इतनी तेज दुर्गन्ध उठ रही थी कि आगे कैबिन में बैठना भी मुश्किल हो रहा था।
औरैया प्रशासन ने अपने बचाव में दी यह दलील
औरेया अस्पताल के मुर्दाघर कर्मचारियों का कहना है कि कुछ शवों को बर्फ के ब्लॉक पर रखकर भेजा गया था। इसी प्रकार औरैया के अतिरिक्त पुलिस अधीक्ष कमलेश कुमार दीक्षित ने कहा कि किसी भी शव को खुले ट्रक में नहीं भेजा गया था। कुछ को कवर डीसीएम ट्रकों में भेजा गया था, कुछ एसयूवी में, लेकिन खुले ट्रक में कोई भी नहीं। औरैया के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह ने कहा कि जो फोटो वायरल हुई, उसकी जांच कराई जाएगी।
भाजपा-कांग्रेस ने एक दूसरे पर लगाए आरोप
घटना को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग की है। वहीं, मुख्यमंत्री ने दुर्घटना के लिए कांग्रेस शासित राज्यों को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों द्वारा दोनों ट्रकों का अवैध संचालन किया जा रहा था।