लखीमपुर खीरी हिंसा: गवाहों की कमी पर सुप्रीम कोर्ट की उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार
क्या है खबर?
लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में पुलिस की ओर से बहुत कम चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फिर से उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है।
कोर्ट ने कहा कि हिंसा के दौरान मौके पर हजारों लोगों की भीड़ थी, लेकिन पुलिस महज 23 चश्मदीद गवाह ही तैयार कर पाई है। यह बहुत ही विचित्र है। इस दौरान कोर्ट ने सरकार को गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश भी दिए।
पृष्ठभूमि
लखीमपुर खीरी हिंसा में हुई थी आठ लोगों की मौत
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के दौरे के समय हिंसा हुई थी, जिसमें चार आंदोलनकारी किसानों समेत कुल आठ लोगों की मौत हुई।
मिश्रा कार्यक्रम के लिए लखीमपुर खीरी स्थित अपने पैतृक गांव पहुंचे थे।आरोप है कि लौटते वक्त मिश्रा के बेटे आशीष ने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी, जिसमें चार किसान मारे गए।
बाद में भीड़ ने दो भाजपा कार्यकर्ताओं और ड्राइवर को पीट-पीट कर मार दिया। एक पत्रकार भी मारा गया है।
संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने लिया था स्वत: संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने 8 अक्टूबर को स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर असंतुष्टि जताई थी।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने कहा था, "हम जिम्मेदार सरकार और पुलिस की उम्मीद कर रहे हैं। आप क्या संदेश भेज रहे हैं? साधारण परिस्थितियों में क्या पुलिस तुरंत जाकर आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर लेती है? चीजें वैसे नहीं हुईं, जैसे होनी चाहिए थी।" कोर्ट ने 20 अक्टूबर तक स्टेटस रिपोर्ट देने के आदेश भी दिए थे।
खिंचाई
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट में देरी करने पर की थी सरकार की खिंचाई
मामले में 20 अक्टूबर को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने में देरी करने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी।
उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि सरकार की ढिलाई से लग रहा है कि वह मामले की जांच से पैर पीछे खींच रही है।
इसी तरह कोर्ट ने गवाहों के बयान दर्ज करने में हो रही देरी पर नाराजगी जताते हुए सरकार को 26 अक्टूबर तक ताजा स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने और गवाहों की सुरक्षा के आदेश दिए थे।
फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने अब चश्मदीद गवाहों की कमी पर लगाई फटकार
मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार के वकील हरीश साल्वे ने बताया कि 68 में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और 23 लोगों को चश्मदीद गवाह बनाया गया है।
इस पर CJI रमन्ना ने कहा कि वहां किसानों की रैली चल रही थी, हजारों किसान मौजूद थे, तो क्या केवल 23 चश्मदीद मिले हैं? इसके बाद साल्वे ने बताया कि लोगों ने कार और कार के अंदर मौजूद लोगों को देखा है।
सवाल
हिंसा के समय घटनास्थल पर मौजूद थे 4,000-5,000 लोग- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हिंसा में घटनास्थल पर 4,000-5,000 लोग मौजूद थे और वो सभी स्थानीय हैं और यहां तक कि घटना के बाद भी अधिकांश आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में इन लोगों की पहचान में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। पुलिस को मामले में चपलता दिखाते हुए चश्मदीद गवाहों की संख्या बढ़ाने पर काम करना चाहिए।
वकील साल्वे ने कहा कि अब तक जितने गवाहों के बयान दर्ज हैं, उनके बयान सरकार सीलबंद लिफाफे में दे सकती है।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिए गवाहों की सुरक्षा के आदेश
कोर्ट ने सरकार को मामले के सभी गवाहों के बयान दर्ज करने, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और जिला न्यायाधीश से न्यायिक मजिस्ट्रेटों की सेवाएं लेने के आदेश दिए हैं।
इसके अलावा कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य की रिपोर्ट तैयार करने को लेकर उसकी चिंताओं से फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं को अवगत कराने और इसमें तेजी लाने को भी कहा है। कोर्ट ने मामले में 8 नवंबर तक नई स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है।
जानकारी
मामले में अब तक हो चुकी है 13 लोगों की गिरफ्तारी
बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पुलिस अब तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के मुख्य संदिग्ध आरोपी बेटे आशीष मिश्रा 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। आशीष फिलहाल न्यायिक हिरासत में चल रहे हैं। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।