पंजाब पुलिस के कॉन्स्टेबल की किस्मत चमकी, लॉटरी में जीते 2 करोड़ रुपये
कहते हैं एक लॉटरी आपके पूरे जीवन को बदल सकती है। यह बढ़ा-चढ़ाकर की जाने वाली बात नहीं, बल्कि सच्चाई है। हाल ही में ऐसा पंजाब पुलिस के एक कॉन्स्टेबल के साथ हुआ है। जानकारी के अनुसार, हाल ही में पंजाब सरकार ने नए साल के लोहड़ी बंपर ड्रॉ के परिणाम घोषित किए गए थे। बंपर ड्रॉ में अशोक कुमार नाम के एक 30 वर्षीय पुलिस कॉन्स्टेबल की किस्मत चमक गई और उसने लॉटरी में 2 करोड़ रुपये जीते।
पुरस्कार राशि ने बदल दिया है उनका जीवन
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब के होशियारपुर जिले के मोटियन गाँव निवासी अशोक ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन वह करोड़पति बन जाएँगे। सबसे दिलचस्प बात यह है कि जैसे ही लॉटरी के नतीजे घोषित किए गए, उन्हें लगा कि उन्होंने लॉटरी टिकट कहीं खो दिया है। बाद में उन्हें लॉटरी टिकट पुलिस स्टेशन में उनकी डेस्क की दराज़ में मिली। अशोक ने बताया कि पुरस्कार राशि ने उनका जीवन बदल दिया है।
पंजाब राज्य लॉटरी निदेशालय द्वारा संचालित की जाती है लॉटरी
बता दें कि यह लॉटरी, पंजाब राज्य लॉटरी निदेशालय, चंडीगढ़ द्वारा संचालित की जाती है। लॉटरी योजनाओं को मोटे तौर पर तीन भाग में बाँटा गया है। साप्ताहिक, मासिक और बंपर लॉटरी योजनाएँ। लॉटरी टिकट बस-स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बाज़ार, सेवा केंद्र और डाक घरों में बेचे जाते हैं। जानकारी के अनुसार, सिक्किम, पंजाब, गोवा, महाराष्ट्र और केरल जैसे लगभग एक दर्जन राज्यों में राज्य सरकारों या लाइसेंस प्राप्त इकाइयों द्वारा लॉटरी टिकट बेचे जाते हैं।
अभी भी खुलनी बाक़ी है पंजाब सावन बंपर लॉटरी
पंजाब राज्य सावन बंपर 2019 योजना के तहत टिकटों की बिक्री अभी भी जारी है और लकी ड्रॉ 8 जुलाई, 2019 को घोषित किया जाएगा। गौर करें कि 3 करोड़ रुपये के पहले पुरस्कार के लिए दो संयुक्त विजेता होंगे, जिनमें से दोनों को 1.5 करोड़ रुपये दिए जाएँगे। वहीं दूसरी पुरस्कार राशि 10 लाख रुपये तय की गई है, जबकि तीसरी पुरस्कार राशि 2.5 लाख रुपये है। ये पुरस्कार राशि लोगों की किस्मत बदल देंगी।
लॉटरी से रातों-रात बदल गई मज़दूर की किस्मत
ठीक ऐसे ही पिछले साल पंजाब सरकार की लॉटरी से दिहाड़ी करने वाले एक मज़दूर की किस्मत रातों-रात बदल गई। मनोज नाम के व्यक्ति ने अपने पड़ोसी से 200 रुपये उधार लेकर एक लॉटरी टिकट ख़रीदा था और लॉटरी ने मनोज को 1.5 करोड़ का मालिक बना दिया था। मनोज ईंट भट्टे पर काम करते थे और उन्हें रोज़ाना 250 रुपये दिहाड़ी के तौर पर मिलते थे। पुरस्कार जीतने के बाद मनोज के घर का माहौल बदल गया।