सशस्त्र बलों में व्याभिचार को अपराध मानने वाली केंद्र की याचिका की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 (व्याभिचार) को रद्द किए जाने के बाद अब केंद्र सरकार ने इस कानून को सशस्त्र बलों में जारी रखने की मांग की है। सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
सरकार की इस याचिका में दिए गए तर्कों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट याचिका की समीक्षा करने पर सहमत हो गया है। समीक्षा के बाद याचिका पर सुनवाई होगी।
प्रकरण
केरल के जोसेफ शाइन की याचिका पर रद्द किया गया था व्याभिचार का कानून
साल 2018 में केरल के जोसेफ शाइन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर धारा 497 को असंवैधानिक करार देने की मांग की थी।
याचिका में कहा गया था, "यदि कोई पुरूष विवाहित महिला से उसके पति की सहमति के बिना यौनाचार करता है तो इस 158 साल पुराने कानून के तहत वह परस्त्रीगमन के अपराध का दोषी होगा। यह कानून पुरूषों के साथ भेदभाव करता है और इससे समानता और दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होता है।"
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2018 में कानून को असंवैधानिक करार दिया
मामले में लंबी सुनवाई के बाद 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरिमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस इन्दु मल्होत्रा ने एकमत होते हुए धारा 497 को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था।
उस दौरान कोर्ट ने इस धारा को स्पष्ट रूप से मनमाना, पुरातनकालीन और समानता के अधिकार और महिलाओं के लिए समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन करने वाला बताया था।
अन्य
सुप्रीम कोर्ट ने इन धाराओं को भी करार दिया था असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस आदेश में दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 198(1) और 198(2) को भी असंवैधानिक करार दिया था।
कोर्ट ने कहा था, "ये धाराएं एक व्यक्ति को उसकी पत्नी से व्याभिचार करने वाले शख्स के खिलाफ केस करने की अनुमति देती हैं। इतना ही नहीं इन्हें विवाह खत्म करने और तलाक लेने का आधार बनाया जाता है। ऐसे में इन दोनों धाराओं को भी जारी रखने से संविधान में दिए अधिकारों का उल्लंघन होता है।"
याचिका
केंद्र सरकार ने की सशस्त्र बलों में व्याभिचार को अपराध बनाए रखने की मांग
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर पुनर्विचार चायिका दायर करते हुए केंद्र सरकार ने व्याभिचार को सशस्त्र बलों में अपराध बनाए रखने और धारा 497 का उपयोग जारी रखने की मांग की थी।
सरकार ने कहा था कि इस कानून के नहीं होने से सशस्त्र बलों में सहकर्मियों की पत्नियों के साथ व्याभिचार के मामले बढ़ सकते हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाएगी। इससे सेना का माहौल खराब हो सकता है।
जानकारी
सशस्त्र बलों में व्याभिचार के कारण जा सकती है नौकरी
केंद्र ने याचिका में कहा है, "सशस्त्र बलों में सहकर्मी की पत्नी के साथ व्याभिचार के मामले में दोषी को सेवा से निकाला जा सकता है। कानून रद्द करने पर आदेशों की पालना नहीं होगी। इसलिए सशस्त्र बलों में इसे अपराध बने रहने देना चाहिए।"
सहमति
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका पर जताई सहमति
केंद्र सरकार की याचिका में दिए गए तर्क के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिका की समीक्षा कराएगा। समीक्षा के बाद याचिका पर सुनवाई की जाएगी। इसमें यदि कोर्ट को लगता है कि सशस्त्र बलों में व्याभिचार को अपराध बनाए रखना उचित होगा तो उस पर गौर किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका आदेश पूरे देश में लागू होता है, ऐसे में किसी विशेष क्षेत्र में आदेश की पालना या छूट अलग मामला है।