केरल हाई कोर्ट की मलप्पुरम नाव हादसे पर तल्ख टिप्पणी, कहा- ये भूलने वाली घटना नहीं
क्या है खबर?
केरल हाई कोर्ट ने मलप्पुरम जिले में नाव पलटने के कारण हुए हादसे को भयावह करार दिया है। कोर्ट में मंगलवार को इस हादसे की जांच को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
इस दौरान कोर्ट ने कहा, "इस त्रासदी में 22 लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जो भूलने वाली घटना नहीं है।"
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखते हुए नाव संचालन की अनुमति क्यों दी।
सुनवाई
कोर्ट ने दुर्घटना को लेकर और क्या कहा?
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस शोभा अन्नम्मा एपेन की बेंच ने कहा कि इस हादसे से उनका दिल बैठ गया है और बच्चों के शवों को देखने के बाद उनकी रातों की नींद उड़ गई।
बेंच ने कहा कि ये दुर्घटना बेवकूफी, लालच और आधिकारियों की उदासीनता के घातक मिश्रण का परिणाम थी और भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति ने हो, इसलिए जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।
मामला
क्या है मामला?
7 मई की शाम 7:30 बजे मलप्पुरम जिले में नाव पलटने के कारण हुए हादसे में 22 लोगों की मौत हो गई थी।
घटना के समय नाव में लगभग 40 लोग टिकट लेकर यात्रा कर रहे थे। इसके अलावा बिना टिकट यात्रा कर रहे कई लोग भी नाव में सवार थे।
इस मामले की प्रारंभिक जांच में नाव पलटने की कई वजहें और लापरवाही सामने आई थीं और इसी कारण जांच की मांग की जा रही है।
नाव
आखिर किन वजहों से हुआ हादसा?
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि नाव में क्षमता से अधिक लोग सवार थे, जिसके कारण ये दुर्घटना हुई। इसके अलावा मछली पकड़ने वाली नाव को पर्यटक सेवाओं के लिए परिवर्तित किया और इसमें सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि यह नाव पर्यटक नावों के लिए जरूरी फिटनेस प्रमाणपत्र के बगैर ही संचालित हो रही थी। इसके अलावा नाव को तय समय के बाद भी देर शाम को चलाया जा रहा था।
मौत
हादसे में मारे गए लोगों में 15 नाबालिग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हादसे में मारे गए 22 लोगों में से 15 नाबालिग थे, जिनकी उम्र 8 महीने से लेकर 17 साल के बीच थी। यहां अभी राहत और बचाव कार्य जारी है। नाव में करीब 40 लोग सवार थे, जिनमें से कई अभी भी लापता हैं।
इससे पहले केरल में इतनी बड़ी दुर्घटना साल 1924 में हुई थी। उस वक्त नाव पलटने के कारण 24 यात्री मारे गए थे, जिनमें केरल के महाकवि कुमारन आशान भी शामिल थे।