केरल: मंदिर में 800 किलो वजनी रोबोटिक हाथी का अनावरण, 26 फरवरी को होगा उद्घाटन
तकनीक की दुनिया में कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है, जिसके बारे में जानकर बेहद हैरानी होती है। इसी कड़ी में केरल के त्रिशूर में स्थित इरिंजादापिल्ली श्रीकृष्ण मंदिर में एक रोबोटिक हाथी का अनावरण किया गया है। इस रोबोटिक हाथी का वजन 800 किलो है और यह सामान्य हाथी की तरह कान और पूंछ हिला सकता है। इसके अलावा यह सूंड़ से पानी निकालने और कई लोगों को अपनी पीठ पर बैठाने में भी सक्षम है।
रोबोटिक हाथी की क्या है खासियत?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रोबोटिक हाथी का नाम इरिंजादापिल्ली रमन है। इसे लोहे के फ्रेम पर रबर की परत चढ़ाकर बनाया गया है। यह 11 फीट लंबा है। इस हाथी पर एक स्विच बटन भी लगा है, जिसे दबाने से रोबोटिक हाथी के अंदर लगी 5 मोटर की मदद से यह सूंड़ से पानी निकालता है और अपने कान और पूंछ हिलाता है। इसके अलावा इस हाथी के ऊपर एक बार में कुल 4 लोग बैठकर जुलूस निकाल सकते हैं।
रोबोटिक हाथी को किसने बनाया और इसमें कितने पैसे खर्च हुए?
रोबोटिक हाथी को चलाकुडी के संतो, जिनेश, प्रशांत और रॉबिन नामक चार मूर्तिकारों द्वारा बनाया गया था और इसे बनाने में कुल 5 लाख रुपये खर्च किए गए। इस रोबोटिक हाथी को पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्म (PETA) इंडिया द्वारा मंदिर में चढ़ाया गया है और अब 26 फरवरी को नादयिरुथल के अवसर पर इसका उद्घाटन किया जाएगा। केरल में ऐसा पहली बार हो रहा है, इसलिए सभी लोग इसके लिए बहुत उत्साहित हैं।
मंदिर के पदाधिकारियों ने रोबोटिक हाथी को लेकर क्या कहा?
इरिंजादापिल्ली श्रीकृष्ण मंदिर के पदाधिकारियों के मुताबिक, असली हाथियों को रखने और जुलूसों में शामिल करने से होने वाले कई जोखिमों और लागतों से बचने के लिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया है। उनका कहना है कि वह असली हाथियों को प्रताड़ना से बचाना चाहते हैं और उन्हें इस बात की आशा है कि इस पहल से अन्य मंदिर भी प्रभावित होंगे। यह उनके लिए एक रोल मॉडल के रूप में काम कर सकता है।
भारत में कई मंदिरों में हाथी रखना माना जाता है शुभ
भारत में मंदिर के अनुष्ठानों के लिए हाथी रखना आम बात है, लेकिन उनकी देखभाल के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ता है। ऐसे में मंदिरों में असली हाथी की जगह रोबोटिक हाथी रखना एक बढ़िया विकल्प के रूप में काम कर सकता है। इसमें लागत तो कम लगेगी ही, साथ ही इससे जानवरों को नुकसान और उन पर इंसानों द्वारा किए जा रहे अत्याचार और प्रताड़ना से भी बचाया जा सकता है।