कर्नाटक: कलबुर्गी में पुजारियों ने बनाई मंदिर की फर्जी वेबसाइट, 20 करोड़ के दान की ठगी
कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के अफजलपुर स्थित प्रसिद्ध सुक्षेत्र देवल गणगपुरा दत्तात्रेय मंदिर के पुजारियों द्वारा मंदिर के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाकर 20 करोड़ से अधिक के दान की ठगी का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। मामले का खुलासा होने पर मंदिर विकास समिति ने आरोपी पुजारियों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करा दिया, लेकिन इसके तुरंत बाद पुजारी मौके से फरार हो गए। पुलिस अब आरोपियों की तलाश में जुटी है।
पुजारियों ने मंदिर के नाम से बना रखी थी आठ फर्जी वेबसाइट
पुलिस ने बताया कि गंगापुर नदी पर स्थित इस मंदिर में कर्नाटक के अलावा महाराष्ट्र और तेलंगाना के श्रद्धालुओं की भी भारी भीड़ रहती है। अधिकतर श्रद्धालु मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट www.devalganagapur.com(shridatttreyatemple.ghanagapur) के जरिए मंदिर को दान देते हैं। इसको देखते हुए चार-पांच साल पहले सात पुजारियों ने ठगी के उद्देश्य से अधिकारिक वेबसाइट को हटाकर www.ghanagapurtemple.com और सात अन्य फर्जी वेबसाइट बना ली। इसके बाद उन्होंने श्रद्धालुओं से फर्जी वेबसाइटों के जरिए दान लेकर ठगी करना शुरू कर दिया।
पुजारियों ने कैसे दिया ठगी को अंजाम?
पुलिस ने बताया कि फर्जी वेबसाइट बनाकर आरोपी पुजारियों ने श्रद्धालुओं को आधिकारिक वेबसाइट के बंद होने तथा नई वेबसाइटों के जरिए दान जमा कराने का आह्वान किया था। श्रद्धालुओं ने भी पुजारियों पर भरोसा करते हुए ऐसा ही किया। पुलिस ने बताया कि पुजारी चढ़ावे के अलावा विशेष पूजा और अनुष्ठानों के लिए 10,000 से लेकर 50,000 रुपये तक का शुल्क लेते थे और बाद में पैसे को अपने निजी बैंक खाते में ट्रांसफर कर लेते थे।
कैसे हुआ पुजारियों की धोखाधड़ी का खुलासा?
पुलिस ने बताया कि यह मंदिर मुजराई विभाग के अंतर्गत आता है और कलबुर्गी के उपायुक्त यशवंत गुरुकर मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष हैं। 21 जून को गुरुकर की अध्यक्षता में हुई ऑडिट बैठक में चढ़ावे की रसीद और मौजूद राशि में अंतर आने पर इस धोखाधड़ी का खुलासा हुआ था। पुलिस ने बताया कि उपायुक्त ने मंदिर के तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी नामदेव राठौड़ को पुलिस में मामला दर्ज कराकर ठगी की राशि बरामद करने के आदेश दिए थे।
फर्जी वेबसाइटों का शिकार बने 2,000 से अधिक श्रद्धालु- पुलिस
पुलिस ने बताया कि घटना का खुलासा होने के बाद साइबर फोरेंसिक ऑडिट टीम ने मामले की जांच की और पता लगाया कि 2,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने फर्जी वेबसाइटों के जरिए मोटा दान जमा कराया था। ऐसे में पुजारियों द्वारा की गई ठगी की राशि 20 करोड़ से अधिक हो सकती है। पुलिस ने बताया कि उपायुक्त ने अब व्यक्तिगत पुजारियों को श्रद्धालुओं की देखभाल करने और दान की रसीद पर अपना मोबाइल नंबर देने के निर्देश दिए हैं।
पुजारियों की गिरफ्तारी के जारी हैं प्रयास
पुलिस ने बताया कि पुजारियों पर फर्जी वेबसाइटों के साथ दान पेटियों से भी पैसा चुराने का संदेह है। इसका कारण है कि CCTV कैमरों की जांच में पैसे गिनने वाले दिन कैमरों को दूसरी तरफ घुमाने या उन पर काला कपड़ा डालना सामने आया है। पुलिस ने बताया कि सातों पुजारियों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित साइबर अपराध की धाराओं में मामला दर्ज किया है। आरोपियों की तलाश जारी है और जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।