सरकार ने साइबर फ्रॉड के लिए लॉन्च की नेशनल हेल्पलाइन, इस नंबर पर करें कॉल
साइबर फ्रॉड की वजह से हुए आर्थिक नुकसान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से नेशनल हेल्पलाइन जारी की गई है। 155260 नंबर वाली हेल्पलाइन पर कॉल कर विक्टिम साइबर फ्रॉड से जुड़ी शिकायत दर्ज कर सकते हैं और यह रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म उन्हें किसी तरह के नुकसान से सुरक्षा देता है। यह हेल्पलाइन अभी सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रही है, जिनमें छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
राज्य पुलिस के नियंत्रण में होगी हेल्पलाइन
सरकार ने बताया है कि हेल्पलाइन को भारत के सभी राज्यों में रोलआउट किया जाएगा और राज्यों की पुलिस इसका संचालन करेगी। इस हेल्पलाइन का अप्रैल, 2021 में सॉफ्ट लॉन्च किया गया था और यह इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (I4C) के साथ काम कर रही थी। इसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI), सभी बड़े बैंकों, पेमेंट बैंक्स, वॉलेट्स और ऑनलाइन मर्चेंट्स का साथ मिला है। हेल्पलाइन का मकसद फ्रॉड के चलते पैसा गलत हाथों में जाने से रोकना है।
अटैकर्स के पास जाने से रोके करोड़ों रुपये
सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग सिस्टम का इन-हाउस डिवेलपमेंट कानूनी एजेंसियों, बैंक्स और फाइनेंशियल इंटरमीडिएटरीज को एकसाथ जोड़ने के लिए किया गया है। केंद्र सरकार के मुताबिक, 155260 हेल्पलाइन की मदद से अब तक 1.85 करोड़ रुपये फ्रॉड करने वालों के पास जाने से रोके गए हैं। सरकार ने बताया कि दिल्ली और राजस्थान में क्रम से 58 लाख रुपये और 53 लाख रुपये फ्रॉड करने वालों से बचाए गए।
रियल-टाइम में लिया जाता है ऐक्शन
हेल्पलाइन से जुड़ी नई सुविधा की मदद से बैंक और पुलिस दोनों को नई टेक्नोलॉजी का फायदा मिल रहा है। ऑनलाइन फ्रॉड से जुड़ी जानकारी फटाफट भेजने के साथ ही इसपर लगभग रियल-टाइम में ही ऐक्शन लिया जाता है। ऑनलाइन ठगी के केस में धोखे से ट्रांसफर किया गया पैसा मनी ट्रेल का पता लगाकर और इसके फ्लो को रोककर वापस लौटाया जा सकता है। फ्रॉड करने वाला पैसे बाहर निकाले, नया सिस्टम इससे पहले उसे ट्रैक कर लेता है।
ऐसे काम करती है नेशनल हेल्पलाइन
विक्टिम जैसे ही राज्य पुलिस की ओर से मैनेज की जाने वाली हेल्पलाइन 155260 पर कॉल करता है, एक पुलिस ऑपरेटर उससे फ्रॉड ट्रांजैक्शन की जानकारी और बेसिक पर्सनल डीटेल्स ले लेता है। इस जानकारी को एक टिकट के तौर पर सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड्स रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम को भेज दिया जाता है। इसके बाद यह टिकट संबंधित बैंक, वॉलेट्स या मर्चेंट्स के पास भेजा जाता है, जहां से फ्रॉड किया गया है और जहां पैसा भेजा गया है।
देनी होगी फ्रॉड से जुड़ी पूरी जानकारी
टिकट जेनरेट होने के बाद विक्टिम को एक्नॉलेजमेंट नंबर की जानकारी SMS की मदद से दी जाएगी। उसे अगले 24 घंटे में एक्नॉलेजमेंट नंबर के साथ फ्रॉड से जुड़ी पूरी जानकारी नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर देनी होगी। संबंधित बैंक फ्रॉड से जुड़ी जानकारी अपने सिस्टम में क्रॉसचेक करेंगे। अगर फ्रॉड के जरिए ट्रांसफर किया गया पैसे उनके सिस्टम में मौजूद है तो उसे होल्ड कर लिया जाएगा और फ्रॉड करने वाला पैसे निकाल नहीं पाएगा।
सभी बैंक और वॉलेट्स सिस्टम का हिस्सा
भारत के लगभग सभी बड़े पब्लिक और प्राइवेट बैंक्स को इस सिस्टम का हिस्सा बनाया गया है, जिससे पैसा किसी और बैंक में ट्रांसफर होने पर टिकट उसे फॉरवर्ड कर दिया जाए और वह फ्रॉड की रकम को होल्ड कर सके।