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    रेप रेप ही है, भले ही करने वाला पति हो- कर्नाटक हाई कोर्ट

    रेप रेप ही है, भले ही करने वाला पति हो- कर्नाटक हाई कोर्ट
    लेखन प्रमोद कुमार
    Mar 24, 2022, 08:41 am 1 मिनट में पढ़ें
    रेप रेप ही है, भले ही करने वाला पति हो- कर्नाटक हाई कोर्ट
    मैरिटल रेप को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

    कर्नाटक हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक महिला द्वारा अपने पति पर लगाए गए रेप के आरोपों को खारिज करने से इनकार कर दिया। जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की एकल जज बेंच ने कहा कि रेप रेप है, चाहे वो पति ने अपनी पत्नी के साथ किया हो। इस दकियानूसी सोच को बदलने की जरूरत है कि 'पति अपनी पत्नियों, उनके शरीर, उनके दिमाग और आत्मा के शासक होते हैं।' आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

    क्या था मामला?

    दरअसल, ट्रायल कोर्ट द्वारा मैरिटल रेप का दोषी करार दिए जाने के बाद महिला के पति ने हाई कोर्ट में अपील की थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने कानून में दिए मैरिटल रेप के अपवाद को पूरी तरह खारिज नहीं किया, लेकिन पति को रेप के मुकदमे का सामना करना पड़ेगा। बता दें कि भारत में अगर पुरुष अपनी 18 साल से अधिक उम्र की पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध भी बनाता है तो उसे रेप नहीं माना जाता।

    शादी क्रूरता का अधिकार नहीं देती- कोर्ट

    कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी किसी व्यक्ति को क्रूरता का अधिकार नहीं देती। यह सब पुरुषों के लिए दंडनीय है, भले ही वह पति क्यों न हो। कोर्ट ने कहा कि पत्नी की मर्जी के खिलाफ यौन संबंध बनाना रेप है। यह पत्नी की मानसिक सेहत पर गंभीर प्रभाव डालता है। उसे इसके शारीरिक और मानसिक परिणाम भुगतने पड़ते हैं। पतियों के ऐसे काम पत्नियों की रूहों को कंपा देते हैं।

    संविधान के लिए सब बराबर हैं- कोर्ट

    कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि संविधान में सभी महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार दिए गए हैं। संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा कि महिलाएं पुरुषों से कमतर है। संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 में सम्मान से रहने का अधिकार, व्यक्तिगत आजादी, यौन स्वायत्ता, बच्चे पैदा करने या न करने की आजादी, निजता का अधिकार और अभिव्यक्ति का अधिकार दिया गया है। संविधान के तहत सारे अधिकार बराबर हैं।

    सरकार से मुद्दे पर विचार करने की अपील

    कोर्ट ने विधायिका को भी इस मुद्दे पर विचार करने की सलाह देते हुए कहा, "हम नहीं कह रहे कि मैरिटल रेप को अपराध के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए या इस अपवाद को हटा लिया जाए, लेकिन इस पर विचार जरूरी है।" बता दें कि जस्टिस नागाप्रसन्ना ने 2020 में भी लैंगिक समानता पर फैसला देते हुए कहा था कि शादीशुदा बेटियां भी मुआवजे के तौर पर रोजगार की मांग कर सकती है।

    क्या होता है मैरिटल रेप?

    अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बिना या जबरन यौन संबंध स्थापित करता है तो उसे मैरिटल रेप कहा जाता है। भारतीय दंड संहिता (IPC) में रेप की परिभाषा तो तय की गई है, लेकिन मैरिटल रेप को कोई जिक्र नहीं किया गया है। ऐसे में यदि शादी के बाद कोई पति अपनी पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाता है तो उसके लिए रेप केस में कानूनी मदद का प्रावधान नहीं है।

    केंद्र ने मैरिटल रेप को अपराध मानने से किया था इनकार

    साल 2017 में केंद्र सरकार ने कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध करार नहीं दिया जा सकता है और अगर ऐसा होता है तो इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर हो जाएगी। इसी तरह सरकार ने यह तर्क भी दिया कि इसे अपराध की श्रेणी में लेने से महिलाओं को अपने पतियों को सताने के लिए एक आसान हथियार मिल जाएगा। उसके बाद हाई कोर्ट ने इसकी समीक्षा के लिए एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र नियुक्त किए थे।

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