प्रवासी मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन से लाना चाहती है झारखंड सरकार, गृह मंत्रालय से मांगी अनुमति
देश में लागू लॉकडाउन से विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए रेल मंत्रालय की ओर से लगातार स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। इसके अलावा राज्य सरकारें भी अपने श्रमिकों को वापस लाने के लिए प्रयासरत है और केंद्र सरकार से अधिक ट्रेनों के संचालन की मांग कर रही हैं। इसके उलट झारखंड सरकार ने अपने प्रवासी मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन से लाने का प्लान बनाया है और इसके लिए गृह मंत्रालय से अनुमति मांगी है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र
झारखंड ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चार्टर्ड प्लेन संचालित करने की अनुमति मांगी है। उन्होंने कहा कि लद्दाख, अण्डमान और नार्थ इस्ट में फंसे राज्य के मजदूरों को किसी अन्य परिवहन के माध्यम जैसे बस या ट्रेन से लाना फिलहाल संभव नहीं है। ऐसे में यदि गृह मंत्रालय से इन इलाकों में फंसे मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन से लाने की अनुमति मिल जाती है तो उनकी भी सुरक्षित घर वापसी हो सकती है।
मुख्यमंत्री सोरेन ने चार्टर्ड प्लेन की मंजूरी देने के लिए बताई यह मजबूरी
मुख्यमंत्री सोरेन ने अपने पत्र में लिखा कि राज्य सरकार की ओर से गत 12 मई को भी गृह मंत्रालय से प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए चार्टर्ड प्लेन चलाने की अनुमति देने की मांग की थी, लेकिन अभी तक नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में राज्य के 200 मजदूर लद्दाख और करीब 450 मजदूर उत्तर पूर्वी राज्यों में फंसे हैं। उन्हें ट्रेन या बस से लाना संभव नहीं है। ऐसे में गृह मंत्रालय को अनमुति देनी चाहिए।
अब तक 1.5 लाख प्रवासी मजदूरों की हुई घर वापसी
मुख्यमंत्री सोरेन ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई श्रमिक स्पेशन ट्रेनों के जरिए अब तक राज्य के 1.5 लाख मजदूर अपने घर पहुंच चुके हैं। राज्य में पहुंचने के बाद सभी को क्वारंटाइन किया गया है।
प्रवासी मजदूरों की सुविधा के लिए प्रत्येक 20 किलोमीटर पर खोली जाएगी सामुदायिक रसोई
मुख्यमंत्री सोरेन ने बताया कि राज्य में फंसे प्रवासी मजदूरों की सुविधा के लिए अब प्रत्येक 20 किलोमीटर पर एक सामुदायिक रसोई खोलने का निर्णय किया गया है। इन रसोइयों का संचालन जिला प्रशासन द्वारा किया जाएगा। अभी तक राज्य में सामुदायिक रसोई के लिए 94 जगहों को चिहि्नत कर लिया गया है। इन रसोइयों पर पहुंचने वाले सभी प्रवासी मजदूरों को निःशुल्क भोजन और पानी की व्यवस्था की जाएगी। इससे उन्हें राहत मिलेगी।
राज्य में फंसे प्रवासियों को वाहनों से पहुंचाया जाएगा घर
मुख्यमंत्री सोरेन ने बताया कि सामुदायिक रसोइयों पर पहुंचने वाले श्रमिकों को पास के सुरक्षित शिविर में ले जाया जाएगा। इसके बाद उन्हें वाहनों के जरिए उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि झारखंड के साथ दूसरे राज्य के लोगों को भी उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। विश्व में जारी महामारी संकट में लोगों को मानवता नहीं भूलनी चाहिए। झारखंड के लोगों को इंसानियत का उदाहरण बनना चाहिए।
श्रमिक स्पेशन ट्रेनों से अपने घर पहुंचे 14 लाख मजदूर
बता दें कि विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की बिगड़ती हालत को देखकर केंद्र सरकार ने गत 1 मई को देश में श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की घोषणा की थीं। पहले दिन महज चार ट्रेनों का संचालन किया गया था, लेकिन उसके बाद प्रतिदिन ट्रेनों की संख्या बढ़ती गई। वर्तमान में रेवले की ओर से 1,064 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया है, जिनके जरिए करीब 14 लाख मजदूर अपने-अपने घर पहुंच चुके हैं।