#NewsBytesExplainer: लोकसभा से पारित हुए जम्मू-कश्मीर से संबंधित 2 अहम विधेयकों में क्या-क्या प्रावधान हैं?
संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा से पारित हो गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कल मंगलवार को इन विधेयकों को पेश किया था और आज इन पर चर्चा हुई। जम्मू-कश्मीर के लिए ये विधेयक काफी अहम माने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि इन विधेयकों में क्या प्रावधान हैं और ये राजनीति को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
किस बारे में हैं दोनों विधेयक?
आरक्षण (संशोधन) विधेयक, जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन करता है। यह अधिनियम अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करता है। पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करता है। प्रस्तावित विधेयक से विधानसभा सीटों की कुल संख्या 111 से बढकर 114 हो जाएगी, जिसमें SC के लिए 7 सीटें और ST के लिए 9 सीटें आरक्षित रहेंगी।
अब क्या रहेगा सीटों का गणित?
5 अगस्त, 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 111 सीटें थीं, जिनमें से 24 पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में थीं और 4 सीटें लद्दाख में थीं। इस तरह जम्मू और कश्मीर में कुल 83 सीटें थीं। अब नए विधेयक में इन 83 सीटों को बढ़ाकर 90 कर दिया गया है। जम्मू में एक और कश्मीर में 1 सीट बढ़ी है। जम्मू में 37 से बढ़कर 43 और कश्मीर में 46 से बढ़कर 47 सीटें हो गई हैं।
किन इलाकों में बढ़ेंगी सीटें?
जम्मू इलाके में सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और उधमपुर में एक-एक सीट बढ़ाई गई है। सांबा में रामगढ़, कठुआ में जसरोता, राजौरी में थन्नामंडी, किश्तवाड़ में पड्डेर-नागसेनी, डोडा में डोडा पश्चिम और उधमपुर में रामनगर सीट नई होंगी। दूसरी तरफ कश्मीर में कुपवाड़ा जिले में एक सीट बढ़ाई गई है। कुपवाड़ा में त्रेहगाम नई सीट होगी, जिससे अब जिले में 5 की बजाय 6 सीटें होंगी।
SC और ST के लिए कौन-सी सीटें आरक्षित?
जम्मू-कश्मीर में SC और ST के लिए 16 सीटें आरक्षित की गई हैं, जिनमें से SC के लिए 7 और ST के लिए 9 सीटें रखी गई हैं। SC समुदाय के लिए जो 7 आरक्षित सीटें हैं, उनके नाम रामनगर (उधमपुर), कठुआ, रामगढ़ (सांबा), बिश्नाह, सुचेतगढ़, माढ़ और अखनूर हैं। ST समुदाय के लिए राजौरी और थानामंडी (दोनों राजौरी जिला), सुरनकोट और मेंढर (दोनों पुंछ जिला) और गुलबगढ़ (रियासी) आदि सीटें आरक्षित की गई हैं।
पुनर्गठन विधेयक में प्रवासी समुदायों के लिए क्या है?
विधेयक में प्रावधान है कि विधानसभा में 'कश्मीरी प्रवासियों' के लिए 2 सीटें और PoK के विस्थापितों के लिए एक सीट आरक्षित रहेगी। ये 3 सीटें जम्मू और कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों से अलग होंगी। इस हिसाब से यहां कुल 93 सीटें हो जाएंगी। बता दें कि प्रवासी वो माना जाएगा, जो 1 नवंबर, 1989 के बाद कश्मीर घाटी या जम्मू-कश्मीर राज्य के किसी अन्य हिस्से को छोड़कर चले गए थे और राहत आयुक्त के पास पंजीकृत हैं।
पहाड़ी समुदाय के लिए क्या है?
भाजपा सरकार ने गुज्जरों के साथ-साथ पहाड़ी समुदाय को भी ST का दर्जा दे दिया है। इस तरह आरक्षण विधेयक के जरिए ये नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ भी उठा सकेंगे और आरक्षित सीटों पर चुनाव भी लड़ सकेंगे। बता दें कि जम्मू-कश्मीर का पहाड़ी समुदाय कोई एक विशिष्ट समुदाय नहीं है, बल्कि कई भाषाई समुदायों का समूह है। इस समूह के लोग हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों से संबंध रखते हैं।
पहाड़ियों को आरक्षण के क्या राजनीतिक मायने?
पहाड़ी समुदाय का पीर पंजाल क्षेत्र में 7-8 सीटों पर अच्छा-खासा प्रभाव हैं और राजौरी, हंदवाड़ा, पुंछ और बारामूला समेत कई इलाके में पहाड़ी समुदाय की बड़ी आबादी है ऐसे में पहाड़ी समुदाय को आरक्षण देने से भाजपा को राजनीतिक फायदा हो सकता है। वो पहले ही जम्मू की सारी सीटें जीतती है और इस इलाके में भी कुछ सीटें जीतकर वो सरकार बनाने की स्थिति में होगी। माना जा रहा है कि आरक्षण के पीछे उसका यही उद्देश्य है।