लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस जारी, पारित होना लगभग तय
आज संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस जारी है। इस विधेयक को कल मंगलवार को सरकार ने लोकसभा में पेश किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया था। आज विधेयक पर सुबह 11 बजे बहस शुरू हुई, जो शाम 6 बजे तक चलेगी। बहस में कांग्रेस की तरफ से मुख्य वक्ता के तौर पर सोनिया गांधी बोलीं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और निर्मला सीतारमण सरकार का पक्ष रखेंगी।
7 घंटे की बहस के बाद पारित हो सकता है विधेयक
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम है, जिसे लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पेश किया था। आज 7 घंटे की बहस के बाद विधेयक का सदन में पारित होना लगभग तय माना जा रहा है। ये विधेयक कानून बनने के बाद जब भी जनगणना और परिसीमन होगा, उसके बाद लागू किया जाएगा।
किन विपक्षी दलों ने किया विधेयक का समर्थन?
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) समेत कई विपक्षी दल इसके समर्थन में हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बिना शर्त के इस विधेयक को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) और उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने भी इस विधेयक का स्वागत किया है। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण न होने पर सवाल उठाए हैं।
विधेयक में क्या-क्या प्रावधान?
विधेयक में राज्य विधानसभाओं, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इसी 33 प्रतिशत में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की महिलाओं के लिए होंगी, यानी SC-ST महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं मिलेगा, बल्कि आरक्षण के भीतर ही आरक्षण होगा। विधान परिषद और राज्यसभा में ये आरक्षण लागू नहीं होगा। ये आरक्षण 15 साल लागू रहेगा और उसके बाद इसे बढ़ाया जा सकेगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
वर्तमान में लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 78 है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद लोकसभा में महिला सीटों की संख्या 181 हो जाएगी। दिल्ली विधानसभा की 70 में से 23 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। इसी तरह बाकी राज्यों की विधानसभा में भी महिला विधायकों की संख्या बढ़ेगी। बता दें कि पंचायत और नगरीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें पहले से ही आरक्षित हैं।