जम्मू-कश्मीर: सुरक्षा को खतरा बताकर नौकरी से निकाले गए पांच सरकारी कर्मचारी
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पांच सरकारी कर्मचारियों को कथित तौर पर 'देश की सुरक्षा के लिए खतरा' बताते हुए नौकरी से निकाल दिया है। इन कर्मचारियों में एक पुलिसकर्मी और एक बैंक मैनेजर शामिल है। करीब दो महीने पहले भी प्रशासन ने ऐसी ही कार्रवाई करते हुए चार लोगों को नौकरी से निकाला था। इनमें कश्मीर यूनिवर्सिटी के डॉ मुहीत अहमद भट और JKLF आंतकी बिट्टा कराटे की पत्नी असबाह-उल-अर्जमंद खान शामिल थी।
किन पांच कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया?
शनिवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बारामूला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के मैनेजर अफाक अहमद वानी, पुलिस कॉन्स्टेबल तनवीर सलीम डार, ऊर्जा विभाग में बतौर लाइनमैन कार्यरत अब्दुल मोमिन पीर, जल शक्ति विभाग में काम करने वाले इरशाद अहमद खान और एक दूसरे कर्मचारी सैयद इफ्तिखार अंद्राबी को नौकरी से निकालने के आदेश जारी किए थे। आदेश में कहा गया है कि सभी मामलों की जांच और तथ्यों से संतुष्टि के बाद उपराज्यपाल ने इन्हें नौकरी से निकालने का फैसला किया है।
एक साल में निकाले जा चुके हैं 40 से अधिक कर्मचारी
जिन पांच कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है, उनमें से तीन हंदवाड़ा, एक सोपोर और एक श्रीनगर का रहने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले एक साल में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 40 से अधिक कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। इनमें से पांच जम्मू के और बाकी कश्मीर घाटी के रहने वाले हैं। हिज्बुल मुजाहिद्दीन कमांडर सैयद नवीद के साथ गिरफ्तार किए गए DSP देविंदर सिंह को छोड़कर नौकरी से निकाले गए बाकी सभी कर्मचारी मुस्लिम हैं।
अगस्त में बर्खास्त किए गए थे ये कर्मचारी
इसी साल अगस्त में प्रशासन ने कश्मीर यूनिवर्सिटी के डॉ मुहीत अहमद भट, कश्मीर यूनिवर्सिटी के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर मजीद हुसैन कादरी, JKEDI के मैनेजर सैयद अब्दुल मुईद और JKLF आंतकी बिट्टा कराटे की पत्नी असबाह-उल-अर्जमंद खान को नौकरी से निकाला था। इन्हें संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत बिना किसी पूछताछ या जांच के लिए नौकरी से निकाला गया था। प्रशासन ने इन सभी पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाए थे।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत आतंकी संगठनों से जुड़े लोगों की जांच के लिए समिति का गठन किया था। इस अनुच्छेद के तहत सरकार को बिना किसी जांच के कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त करने का अधिकार मिलता है। हालांकि, इसमें राष्ट्रपति या उपराज्यपाल को इस बात की संतुष्टि होना आवश्यक है कि कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा कार्य राज्य या देश की सुरक्षा के हित में नहीं है।