कोरोना वायरस के कारण सरकार ने ड्यूटी पर बुलाया, मैं नहीं जाऊंगा- पूर्व IAS अधिकारी गोपीनाथन
पूर्व IAS अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने दावा किया है कि सरकार ने उन्हें फिर से ड्यूटी पर लौटने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। केरल के रहने वाले गोपीनाथन ने पिछले साल कश्मीर में 'मूल अधिकारों के हनन' और 'पाबंदियों' के विरोध में सेवा से इस्तीफा से दिया था। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल 5 अगस्त को कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया था और 25 अगस्त को गोपीनाथन ने इस्तीफा दे दिया।
गोपीनाथन ने ट्वीट कर दी जानकारी
गोपीनाथन ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, 'सरकार से एक पत्र मिला है, जिसमें मुझे फिर से ड्यूटी ज्वॉइन करने को कहा गया है। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में मैं तन, मन और धन से सरकार के साथ हूं। मैं ऐसा एक IAS अधिकारी नहीं बल्कि जिम्मेदार नागरिक के नाते करने के तैयार हूं।' उनके इस दावे पर अभी तक सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बतौर वॉलेंटियर काम कर सकता हूं- गोपीनाथन
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए गोपीनाथन ने कहा, "मैं अब कई तरह के कामों में लगा है। मैं ये करता रहूंगा। अगर सरकार चाहती है तो मैं दादर और नगर हवेली या देश के किसी भी हिस्से में बतौर वॉलेंटियर जा सकता हूं। IAS से इस्तीफा देना एक सोचा-समझा फैसला था और मैं इस पर अडिग हूं।" उन्होंने कहा कि वो नहीं जानते सरकार ने उन्हें फिर से ड्यूटी पर क्यों बुलाया है।
यहां देखिये गोपीनाथन का ट्वीट
गोपीनाथन को डर, सरकार कर सकती है कार्रवाई
33 वर्षीय गोपीनाथन ने कहा कि उन्हें लगता है कि सरकार आपदा प्रबंधन कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। उन्होंने कहा, "वो अच्छी नियत से मुझे लौटने के लिए नहीं कह रहे, लेकिन मुझे कोई चिंता नहीं है। अब मैं महाराष्ट्र में कई NGO के साथ काम करता हूं। मुझे काम करने के लिए IAS का टैग नहीं चाहिए।" गोपीनाथन ने नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया था।
इस वाकये से लोकप्रिय हुए थे गोपीनाथन
साल 2018 में केरल में आई बाढ़ के दौरान गोपीनाथन दादर और नगर हवेली से छुट्टी लेकर चेक देने केरल आए थे। इस दौरान उन्होंने आठ दिनों तक चुपचाप राहत कार्यों में मदद की। इस दौरान उनके बैचमेट रहे एर्नाकुलम के जिलाधिकारी ने उनको पहचान लिया। इसके बाद गोपीनाथन अपनी ड्यूटी पर लौट गए। राहत अभियान के दौरान किए गए उनके सेवा कार्य की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई थी, लेकिन कन्नन ने इसे सिर्फ अपना काम बताया था।