
जम्मू-कश्मीर: क्या है चिनाब रेलवे पुल की खासियत, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया उद्घाटन?
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार (6 जून) को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं।
उन्होंने यहां 272 किलोमीटर लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक के सबसे अहम पड़ाव कहे जाने वाले चिनाब रेलवे पुल का उद्घाटन किया। इसी तरह कटरा-श्रीनगर के बीच चलने वाली 2 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को हरी झंडी भी दिखाई।
1,315 मीटर लंबा दुनिया का सबसे ऊंचे चिनाब रेलवे पुल भूकंप और विस्फोट तक का भी असर नहीं होगा। ऐसे में आइए इसकी सभी खासियत जानते हैं।
समय
22 साल में बनकर तैयार हुआ चिनाब पुल
इस रेलवे पुल को बनने में 22 साल का समय लगा है। साल 2003 में इसकी परियोजना को मंजूरी मिली थी और साल 2005 में इनका निर्माण शुरू हुआ था।
इसे साल 2009 तक पूरा करना था, लेकिन निर्धारित समय तक केवल आधारभूत ढांचा ही तैयार हुआ था।
इसके बाद 2017 में कार्य को सुचारू रूप से चालाने के लिए 3,200 कर्मचारी और इंजीनियर तैनात किए गए और उनके रहने के लिए 52 रिहायशी ब्लॉक तैयार किए गए।
जानकारी
साल 2021 में हुई पुल पर लाइन बिछाने की शुरुआत
साल 2021 में पुल के आर्क बनाने का कार्य शुरू किया गया और उसके बाद रेलवे लाइन बिछाने का भी कार्य शुरू किया गया। साल 2024 में इस पर ट्रायल रन किया गया और इसके संचालन के लिए परीक्षण और अंतिम तैयारियां की गई।
पुल
क्या है चिनाब रेल पुल की खासियत?
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित चिनाब पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है जो नदी तल के स्तर से 359 मीटर (1,178 फीट) ऊपर स्थित है।
यह पेरिस में स्थित एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा है। इस पुल की कुल लंबाई 1,315 मीटर है।
पुल को 1,486 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इसे 2004 में राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था। हालांकि, कई बार सुरक्षा कारणों से इसका काम रोका गया था।
डिजाइन
फिनलैंड में तैयार किया गया था पुल का डिजाइन
दुनिया का सबसे ऊंचे रेलवे पुल को WSP फिनलैंड ने जर्मन फर्म लियोनहार्ट, एंड्रा अंड पार्टनर के साथ मिलकर डिजाइन किया है।
लियोनहार्ट ने पुल के मेहराब (अर्द्ध-वृत्ताकार संरचना) को डिजाइन किया है और वियना कंसल्टिंग इंजीनियर्स ने खंभों के डिजाइन में मदद की है।
डिजाइन तैयार होने के बाद भारतीय रेलवे के कोंकण कॉरपोरेशन के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने कड़ी मेहनत और लगन के साथ दिन-रात लगकर इस दुर्लभ योजना को मूर्त रूप दिया।
सामग्री
पुल निर्माण में लगा 28,660 मीट्रिक टन स्टील
रिपोर्ट के अनुसार, इस पुल के निर्माण में 28,660 मीट्रिक टन स्टील, 10 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी की खुदाई, 66,000 मीटर कंक्रीट और 26 किलोमीटर मोटर योग्य सड़कों का इस्तेमाल हुआ है।
पुल के निर्माण में शामिल लोगों के अनुसार, मेहराब का कुल वजन 10,619 मीट्रिक टन है।
इस पुल के निर्माण पर कुल 1,456 करोड़ रुपये की लागात आई है और इसे बनाने में कुल मिलाकर 3,200 श्रमिकों और इंजीनियरों ने एक साथ काम किया है।
तकनीक
पुल को बनाने में किस तकनीक का इस्तेमाल हुआ?
जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्र में रास्ते संकरे और घुमावदार हैं। इस बीच कई खाई और मैदानी रास्ते भी हैं। चिनाब नदी पहाड़ों के बीच जिस खाई में मौजूद है, वह काफी गहरी और संकरी है।
आमतौर पर पुल को बनाने के लिए कैंटीलिवर तकनीक, सस्पेंशन ब्रिज तकनीक या केबल ब्रिज तकनीक इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन चिनाब के आसपास की जमीन को देखते हुए इस पुल को स्टील आर्क डिजाइन की तर्ज पर बनाने का फैसला किया गया था।
ताकत
पुल पर नहीं होगा भूकंप का भी असर
IIT रुड़की के विशेषज्ञों ने पुल के भूकंपीय रूप से सक्रिय पहाड़ों पर बनाए जाने को देखते हुए चट्टानी ढलानों का अध्ययन किया और भूकंप से बचाव के तरीके सुझाए।
विशेषज्ञों ने ग्राउटिंग, एंकर ब्लॉकिंग और शॉटक्रीट तकनीकों का उपयोग करके ढलानों को स्थिर किया।
इसी तरह पुल के रेल डेक को गोलाकार बीयरिंग का उपयोग करके इसके सबस्ट्रक्चर से अलग कर दिया। ऐसे में अब यह पुल रिक्टर पैमाने पर 8 तीव्रता के भूकंप को भी झेल सकता है।
जानकारी
तूफान का भी नहीं होगा असर
इंजनीयरों की यह तकनीक पुल को न केवल भूकंप, बल्कि तूफान से भी सुरक्षित रखेगी। इसकी बनावट इस तरह से तैयार की गई है कि 266 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज हवा वाले तूफान में भी यह स्थिर रहेगा और रेल यातायात सुचारू रह सकेगा।
विस्फोट
उच्च तीव्रता वाले विस्फोट भी झेल सकता है पुल
कोंकण रेलवे के मुख्य अभियंता (समन्वय) आरके हेगड़े ने PTI से कहा, "यह पुल 40 किलोग्राम TNT के उच्च तीव्रता वाले विस्फोटों को भी झेल सकता है। विस्फोट के बाद भी ट्रेन 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकती है।"
उन्होंने आगे कहा, "जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की आशंका को देखते हुए पुल को 63 मिमी मोटी विशेष विस्फोट-रोधी स्टील से बनाया गया है। पहली बार सेल्फ-कॉम्पैक्टिंग कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है।"
उम्र
120 सालों तक स्थिर रह सकता है पुल
हेगड़े ने बताया कि पुल की आयु 120 साल होने का अनुमान है। इसकी लंबी आयु सुनिश्चित करने के लिए जंगरोधी पेंट का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा, इसमें रियल-टाइम अलर्ट के लिए ऑनलाइन सुरक्षा निगरानी प्रणाली भी लगाई गई है।
डिजाइन तैयार करने वाली फर्म WSP ने चेनाब ब्रिज के निर्माण में टेकला सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप स्टील और कंक्रीट संरचनाओं के लिए किया जाता है। इससे सटीकता और दक्षता बढ़ती है।
फायदा
चिनाब पुल के निर्माण से क्या होगा फायदा?
चिनाब पुल के शुरू होने से अब श्रीनगर का जम्मू और दिल्ली से 12 महीने जुड़ाव रह सकेगा।
पूर्व में सर्दियों के मौसम में बर्फबारी के बाद जम्मू-श्रीनगर सड़क मार्ग बंद हो जाता था और लोगों को मौसम के ठीक होने का इंतजार करना पड़ता था।
इसी तरह पुल के निर्माण से कटरा और श्रीनगर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रा का समय घटकर सिर्फ 3 घंटे रह जाएगा, जो अभी सड़क मार्ग से 5-6 घंटे का है।