चांद पर उतरने के लिए बढ़े भारत के कदम, ISRO ने लॉन्च किया चंद्रयान-2
बीते कई दिनों से जिस पल का इंतजार था, वह पल आ गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इतिहास रचते हुए चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। लॉन्चिंग के पहले प्रयास में असफल होने के बाद ISRO ने सोमवार को इसे अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट GSLV Mk-III से लॉन्च किया। पूरे देश की निगाहें इस मिशन पर टिकी थी। सफलतापूर्वक लॉन्च के बाद ISRO को बधाई मिलने का सिललिला शुरू हो गया है।
चांद की सतह पर उतरने की भारत की पहली कोशिश
चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरने की पहली कोशिश है। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ही ऐसा कर पाए हैं। भारत ने इससे पहले 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया था, जिसने चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया था। हालांकि, चंद्रयान-1 चांद की सतह पर नहीं उतरा था। चंद्रयान-2 के सहारे ISRO चांद की सतह पर मैग्निशियम, कैल्शियम जैसे खनिज तत्वों को खोजने, पानी की मौजूदगी को तलाशने और चांद की बाहरी परत की जांच की कोशिश करेगा।
इस मिशन से क्या मिलेगा?
ISRO के प्रमुख के सीवन ने कहा कि अगर यह मिशन सफल रहता है तो चांद के बारे में समझ बढ़ेगी और भारत और पूरी मानवता के हक में होगा। चंद्रयान-1 की खोजों को विस्तृत रूप से समझने के लिए चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया है।
चांद की सतह पर ऐसे पहुंचेगा रोवर
चांद से तस्वीरें भेजेगा रोवर
ISRO की सबसे शक्तिशाली 640 टन वजनी और 44 मीटर लंबी यह रॉकेट चंद्रयान-2 को पृथ्वी कक्षा में ले जाएगी। लॉन्चिंग के 973.7 सेकंड के बाद चंद्रयान-2 रॉकेट से अलग हो जाएगा। चंद्रयान-2 मॉड्यूल में एक ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल है। लैंडर का नाम ISRO के संस्थापक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। चांद की सतह पर पहुंचने के बाद रोवर चांद की सतह पर पानी की तलाश करेगा और वहां से तस्वीरें भेजेगा।
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केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दी ISRO को बधाई
मिशन कंट्रोल रूम की तस्वीर
'रोज ही आकाश चढ़ते आ रहे है हम'
कवि कुमार विश्वास ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने पर ISRO को बधाई दी है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'स्वर्ग के सम्राट को जाकर ख़बर कर दो, रोज ही आकाश चढ़ते आ रहे है हम..!'
ISRO प्रमुख बोले- भारत के ऐतिहासिक सफर की शुरुआत
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के बाद मिशन कंट्रोल में बैठे वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई दी। ISRO प्रमुख सिवन ने कहा कि आज भारत के लिए ऐतिहासिक दिन है। यह चंद्रमा की तरफ भारत के ऐतिहासिक सफर की यह शुरुआत है। सिवन ने कहा तकनीकी खामी का पता लगने के बाद ISRO ने 24 घंटे में इसे दूर कर लिया था। उन्होंने कहा कि टीम ISRO के वैज्ञानिकों की मदद से ही यह जटिल काम संभव हो पाया है।