पाकिस्तान में आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई, आतंकियों को फंडिंग के मामले में मुकदमा दर्ज
पाकिस्तान सरकार ने आतंकी सगंठन लश्कर-ए-तैयबा के वित्त पोषण मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद और उसके 12 अन्य सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। पाकिस्तान के आंतक निरोधक विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत के नेतृत्व पर लाहौर, गुजरांवाला और मुल्तान में 23 मामले दर्ज हुए हैं। इन पर ट्रस्टों और दूसरे संगठनों के जरिए आतंक के लिए धन जुटाने का आरोप है।
इन आतंकियों के खिलाफ दर्ज हुए मामले
प्रवक्ता ने बताया कि लश्कर और जमात-उद-दावा के हाफिज सईद, उसके जीजा, अब्दुल रहमान मक्की, मलिक जफर इकबाल, आमीर हमजा, मोहम्मद याहया अजिज, मुहम्मद नईम शेख, मोहसिन बिलाल, अब्दुल रकीब, अहमद दाउद, मुहम्मद अयूब, अब्दुल्ला उबैद, मुहम्मद अली और अब्दुल गफ्फार के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उन्होेंने आगे बताया कि ये लोग ट्रस्टों के नाम पर जमा की गई और बनाई गई संपत्ति का इस्तेमाल आतंकी संगठनों के वित्तपोषण के लिए कर रहे थे।
पाकिस्तान को सता रहा ब्लैकलिस्ट होने का डर
यह पहली बार है जब किसी मामले मेें हाफिज सईद का नाम सीधे तौर पर शामिल किया गया है। पाकिस्तान सरकार की यह कार्रवाई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक के बाद आया है, जिसमें पाकिस्तान को आतंकियों को फंडिंग करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा गया था। बता दें, पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल है। अगर पाकिस्तान कार्रवाई नहीं करेगा तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।
पाकिस्तान ने कार्रवाई की यह वजह बताई
पाकिस्तान सरकार ने 2002 में लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन इसके चैरिटी के कामों पर प्रतिबंध पिछले साल लगाया गया है। आतंक निरोधक विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित व्यक्ति और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के निर्देशों के बाद यह कार्रवाई की गई है।
इस कानून के तहत दर्ज हुए मुकदमे
बीती 1 और 2 जुलाई को दर्ज किए गए इन मुकदमों में दवात उल इरशाद, मौज बिन जबाल, अल-अनफाल, अल हम्द और अल मदीना फाउंडेशन जैसे ट्रस्टों के नाम शामिल हैं। प्रवक्ता ने बताया कि इस मामले में बड़े स्तर पर जांच की गई थी। आतंकियों ने इन ट्रस्टों का इस्तेमाल आतंक के वित्तपोषण के लिए किया। उन्होंने बताया कि आरोपियों के खिलाफ आतंक-रोधी कानून 1997 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है और ये मामले आतंक-रोधी अदालत में चलेंगे।
पुलवामा हमले के बाद लगा था जमात-उद-दावा पर बैन
इसी साल फरवरी में पुलवामा में CRPF काफिले पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बना था। इस दबाव में आकर पाकिस्तान सरकार ने फरवरी में हाफिज सईद के दो संगठन, जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत पर बैन लगाया था। जमात-उद-दावा को लश्कर-ए-तैयब्बा का हिस्सा माना जाता है। यह संगठन पाकिस्तान में 300 मदरसे और स्कूल, अस्पताल, पब्लिशिंग हाउस और एंबुलेंस सेवाएं चलाता है। इन दोनों संगठनों में लगभग 50,000 लोग काम करते हैं।
मुंबई हमले के पीछे था हाफिज सईद का हाथ
हाफिज सईद मुंबई आतंकी हमले का मुख्य आरोपी है। इस हमले के बाद दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित करते हुए उस पर प्रतिबंध लगाया था। उसके आतंकी संगठन के आतंकियों ने ही मुंबई पर हमला किया था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे। उसका संगठन लश्कर-ए-तैयबा भी आतंकी संगठनों की सूची में आता है, इसलिए उसने अपने तमाम आर्थिक और राजनीतिक काम चलाने के लिए अन्य संगठन बना रखे हैं।