भारत में 1994 से 2016 के बीच पांच गुना बढ़े बच्चों के रेप के मामले- रिपोर्ट
साल 1994 से 2016 के बीच भारत में बच्चों के रेप के मामले 5 गुना बढ़ गए हैं। हालांकि, इस बीच पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई है और शिक्षा तक पहुंच में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। ये आंकड़े छह बाल अधिकार संगठनों की एक संयुक्त रिपोर्ट में सामने आए हैं। बच्चों में घटते लिंगानुपात को भी इस रिपोर्ट में चिंता का एक विषय माना गया है।
15 मापदंडों के आधार पर राज्यों का मूल्यांकन
चाइल्ड फंड इंडिया, प्लान इंडिया, सेव द चिल्ड्रेन इंडिया, SOS चिल्ड्रेन्स विलेजेज इंडिया, टेरे डेस होम्स और वर्ल्ड विजन इंडिया की इस संयुक्त रिपोर्ट को बुधवार को जारी किया गया। रिपोर्ट का नाम 'भारत में बाल अधिकार- एक अधूरा एजेंडा' है और इसमें 15 मापदंडों के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का मूल्यांकन किया गया है। इन मापदंडों में मृत्यु दर, लिंगानुपात, शिक्षा तक पहुंच, खेल और मनोरंजन, हिंसा और बाल विवाह से सुरक्षा आदि शामिल हैं।
2016 में बच्चों के खिलाफ हुए 1 लाख से अधिक अपराध
रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1,06,958 मामले सामने आए। इनमें से 52 प्रतिशत अपहरण से संबंधित थे, जबकि 34 प्रतिशत रेप और अन्य यौन अपराधों से संबंधित थे। रिपोर्ट में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया है कि 1994 में बच्चों के रेप के 3,986 मामले सामने आए थे, जबकि 2016 में इसके पांच गुना 19,765 मामले सामने आए।
घटता बाल लिंगानुपात भी बड़ी समस्या
रिपोर्ट में लिखा है, "न केवल सेक्स व्यापार बल्कि गैर-सेक्स शोषण, जैसे कि घरेलू, औद्योगिक और कृषि श्रम, भीख मांगने, अंगों के व्यापार और फर्जी विवाहों आदि, के लिए बड़ी संख्या में बच्चों की तस्करी की गई।" रिपोर्ट में घटते बाल लिंगानुपात को भी एक बड़ी समस्या माना गया है। इसके अनुसार, बाल लिंगानुपात 2001 जनगणना में 927 से घटकर 2011 जनगणना में 919 हो गया है और अभी भी कई इलाकों में पतन जारी है।
साक्षरता दर और बाल मृत्यु दर में सुधार
रिपोर्ट में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को एक ऐसा मोर्चा बताया गया है, जहां सुधार हुआ है। इसके अनुसार, पहली बार भारत बाल मृत्यु दर के वैश्विक औसत के बराबर पहुंचा है। इस बीच शिशु मृत्यु दर में भी सुधार आया है और ये 1992-93 में 79 से घटकर 2015-16 में 41 तक पहुंच गई है। 7-14 साल के बच्चों की साक्षरता दर 64 प्रतिशत से बढ़कर 88 प्रतिशत हो गई है।
बाल अधिकारों के मामले में राज्यों की रैंकिंग
रिपोर्ट में 15 मापदंडों के आधार पर राज्यों की रैकिंग भी की गई है। 360 में से 297 के स्कोर के साथ पुडुचेरी बाल अधिकारों के मामले में पहले पायदान पर है। अगर सबसे खराब प्रदर्शन वाले राज्यों की बात करें तो 100 के स्कोर के साथ झारखंड सबसे नीचे है। 105 स्कोर के साथ उत्तर प्रदेश नीचे से दूसरे स्थान पर है। 116 स्कोर के साथ राजस्थान तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है।