JNU हिंसा: कैंपस के अंदर और बाहर मौजूद थे 133 पुलिसकर्मी, फिर भी कोई गिरफ्तारी नहीं
रविवार को जिस समय नकाबपोश गुंडों ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के अंदर घुसकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया, उस समय दिल्ली पुलिस के 17 जवान यूनिवर्सिटी के अंदर तैनात थे। इसके अलावा 116 जवान यूनिवर्सिटी के गेट पर तैनात थे और अंदर घुसने की अनुमति का इंतजार कर रहे थे। लेकिन इस सबके बावजूद वो एक भी आरोपी को पकड़ने में नाकाम रहे। दिल्ली पुलिस ने खुद ये जानकारी दी है।
एक महीने से JNU के अंदर तैनात हैं पुलिसकर्मी
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के अनुसार, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए JNU के अंदर पिछले एक महीने से लगभग 17 जवान साधा कपड़ों में तैनात हैं, जिनके पास हमेशा एक PCR वैन रहती है। वहीं रविवार को जिस समय शाम 05:30 से 07:30 के बीच नकाबपोशों ने छात्रों और शिक्षकों को निशाना बनाया, उस समय अतिरिक्त 116 जवान यूनिवर्सिटी के गेट पर थे और अंदर घुसने की अनुमति का इंतजार कर रहे थे।
डिप्टी पुलिस कमिश्नर ने कहा, पुलिस के रोकने पर नहीं रुके दंगाई
डिप्टी पुलिस कमिश्नर (दक्षिण-पश्चिम दिल्ली) देवेंदर आर्या ने बताया, "दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक पर तैनात हमारे 15-20 जवानों के पास हथियार नहीं थे और वो साधे कपड़ों में थे। उन्होंने स्थिति को काबू में रखने के लिए पूरे प्रयास किए लेकिन दंगाई अधिक मात्रा में थे। पुलिसकर्मियों ने उन्हें चेेतावनी देने और रोकने के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा सिस्टम का भी उपयोग किया।" उन्होंने पुलिस के समय पर कार्रवाई न करने के आरोपों को खारिज किया।
गुंडों ने किया था लोहे की रॉड और डंडों से हमला
बता दें कि रविवार शाम को लगभग 50-60 नकाबपोश गुंडे लोहे की रॉड, डंडे और अन्य हथियार लेकर JNU में घुस गए थे और छात्रों और शिक्षकों को निशाना बनाया था। गुंडों ने हॉस्टलों के अंदर घुसकर भी छात्रों को मारा। इस हमले में करीब 34 छात्र और शिक्षक घायल हुए। घायल हुए लोगों में JNU छात्र संघ प्रमुख आइशी घोष और क्षेत्रीय विकास अध्ययन केंद्र की प्रमुख सुचारिता सेन भी शामिल हैं।
पुलिस के रवैये पर उठ रहे गंभीर सवाल
गुंडों के हमले के दौरान दिल्ली पुलिस के रवैये पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जिस समय ये गुंडे कैंपस के अंदर छात्रों और शिक्षकों को पीट रहे थे, पुलिस JNU गेट पर खड़े होकर वहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों से उलझने में व्यस्त थी। पुलिस ने JNU की तरफ आने वाले सभी रास्तों को भी बंद कर दिया। इस दौरान कुछ गुंडों ने गेट के बाहर पुलिस की मौजूदगी में सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों पर भी हमला किया।
हीरो की तरह कैंपस से बाहर निकले गुंडे
यही नहीं, ये गुंडे JNU कैंपस में आतंक मचाकर किसी "हीरो" की तरह कैंपस से बाहर निकले और इस दौरान पुलिस तमाशा देखती रही। मामलों को 48 घंटे से अधिक होने पर अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
पुलिस के बयान और तथ्यों में साफ अंतर
इन आरोपों के बीच पुलिस लगातार सफाई दे रही है, लेकिन उसके कई बयानों और तथ्यों में साफ अंतर नजर आ रहा है। हिंसा के खिलाफ दर्ज अपनी FIR में पुलिस ने लिखा है कि शाम चार बजे हिंसा के बाद JNU प्रशासन ने उन्हें सूचित कर स्थिति को काबू में लाने को कहा था। वहीं पुलिस के प्रवक्ता का कहना है कि प्रशासन की अनुमति मिलने में देरी के कारण वो हिंसा के दौरान कैंपस में नहीं घुस सके।