बंधगला और धोती पहनकर नोबेल पुरस्कार लेने पहुंचे अभिजीत बनर्जी
भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीन बनर्जी ने अपनी पत्नी और अर्थशास्त्री एस्थर डुफलो के साथ मिलकर बुधवार को एक समारोह में नोबेल पुरस्कार ग्रहण किया। अभिजीत बंधगला और धोती पहनकर और डुफलो साड़ी में तैयार होकर इस समारोह में आई थीं। अभिजीत और डुफलो को माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से इस साल का अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार दिया गया है। तीनों को गरीबी दूर करने के लिए एक्सपेरिमेंट अप्रोच के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है।
अर्थशास्त्र में नोबेल जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं अभिजीत
तीनों अर्थशास्त्रियों को ओस्लो में आयोजित समारोह में मेडल और लगभग 6.7 करोड़ रुपये की ईनामी राशि दी गई है। अभिजीत और उनकी पत्नी डुफलो अमेरिका के मैसाचुसैट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं, वहीं क्रेमर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। जानकारों का कहना है कि तीनों के प्रयास भविष्य में गरीबी से लड़ने में बेहद कारगर सिद्ध होंगे। बता दें, अभिजीत अर्थशास्त्र में अमर्त्य सेन के बाद नोबेल जीतने वाले दूसरे भारतीय हैं।
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2012 में हुई थी अभिजीत और डुफलो की शादी
अभिजीत और डुफलो ने 2012 में शादी की थी और दोनों के एक बच्चा है। फ्रांस की एस्थर डुफलो अर्थशास्त्र में नोबल जीतने वाली दूसरी महिला हैं। उनसे पहले 2009 में अमेरिकी की एलिनोर ऑस्ट्रोम ने यह पुरस्कार जीता था।
कलकता में जन्मे हैं अभिजीत
अभिजीत बनर्जी का जन्म 1961 में कोलकाता में हुआ था। उनकी माता निर्मला बनर्जी कोलकता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंस में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर और पिता दीपक बनर्जी प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख थे। कोलकाता में स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने 1981 में यहीं स्थित प्रेसिडेंसी कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन पूरी की। इसके बाद उन्होंने मास्टर्स के लिए दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में दाखिला लिया।
JNU ने दी राजनीति की समझ- अभिजीत
अभिजीत ने एक इंटरव्यू में कहा, "JNU ने मुझे राजनीति की समझ दी। यह उस तरह से नहीं थी कि मैं JNU छात्र संघ या किसी दूसरी राजनीति का हिस्सा नहीं बन जाऊं, लेकिन मुझे यह बात समझ आई कि राजनीति कितनी जरूरी है।"
चार किताबें लिख चुके हैं अभिजीत बनर्जी
JNU से मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से PhD की। उन्होंने अपनी पत्नी और सेंथिल मुलैनाथन के साथ मिलकर 2003 में अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब (J-PAL) की स्थापना की थी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उच्च-स्तरीय पैनल के सदस्य रहे अभिजीत चार किताबें भी लिख चुके हैं। अभिजीत ने बताया कि उनके परिवार में गरीबी और इसके नुकसान की बातें होती थीं और यही बातें आगे चलकर उनके काम आई।