उस टीम से मिलिए, जिसने चंद्रयान-2 मिशन को अंजाम दिया
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने के बाद भारत की चांद की सतह पर उतरने की कोशिश असफल हो गई। दुनिया की नजरें ISRO के इस मिशन पर टिकी हुई थी। भले ही यह मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है, लेकिन इसका सफर देशवासियों को गौरवान्वित करता रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ISRO वैज्ञानिकों ने देश को मुस्कुराने का मौका दिया है। आइये, उस टीम के बारे में जानते हैं, जिसने इसे अंजाम दिया।
ISRO के मुखियाः के सिवन
ISRO चेयरमैन होने के नाते 62 वर्षीय के सिवन चंद्रयान-2 का मुख्य चेहरा थे। कन्याकुमारी के एक सामान्य परिवार से आने वाले सिवन को 2018 में ISRO की कमान सौंपी गई थी। सिवन ही मीडिया के सामने आकर इस महत्वाकांक्षी मिशन के बारे में जानकारी देते थे। अपने परिवार के पहले ग्रेजुएट सिवन 1982 में ISRO के PSLV प्रोजेक्ट के साथ जुड़े थे। भावुक सिवन की प्रधानमंत्री के गले लगने की वीडियो दुनियाभर में देखी गई।
चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर: एम वनिता
मुथैया वनिता बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर चंद्रयान-2 मिशन को लीड कर रही थी। वह किसी इंटर-प्लेनेट्री मिशन को लीड करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। वनिता शुरू में इस प्रोजेक्ट के साथ जुड़ने के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन चंद्रयान-1 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर एम अन्नादुरुई ने उनकी डाटा-हैंडलिंग की काबिलियत को देखते हुए इस मिशन से जोड़ा। यूआर राव सैटेलाइट सेंटर से संबंध रखने वालीं वनिता ने पहले Cartosat-1, Oceansat-2 और Megha-Tropiques की टीम के साथ काम किया था।
चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर: रितु करीधाल
वनिता की टीम में रितु दूसरी महिला वैज्ञानिक के तौर पर शामिल हुई। चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर रितु पिछले 22 सालों से ISRO में काम कर रही हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई लखनऊ यूनिवर्सिटी और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू से पूरी की है। रितु भी वनिता की तरह यूआर सैटेलाइट सेंटर से संबंध रखती हैं। रितु ने 2013 में भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन में डिप्टी डायरेक्टर (ऑपरेशन) की भूमिक निभाई थी।
डॉक्टर सतीश सोमनाथ, जिन्होने रॉकेट उपलब्ध कराया
डॉक्टर सतीश सोमनाथ, विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के डायरेक्टर हैं। VSSC ने चंद्रयान-2 को लॉन्च करने वाला GSLV Mk-III लॉन्चर उपलब्ध कराया था। मैकेनिकल इंजीनियर सोमनाथ ने लॉन्चिंग से ऐन पहले रॉकेट में आई खामी को दूर करने में अहम भूमिका निभाई थी। इस खामी की वजह से चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को एक हफ्ते तक टालना पड़ा था। सतीश GSLV Mk-III की शुरुआत से ही इसके साथ जुड़े हैं।
पी कुन्निकृष्णन की टीम ने तैयार किया स्पेसक्राफ्ट
यूआर सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर के तौर पर 58 वर्षीय कुन्निकृष्णन ने चंद्रयान-2 का स्पेसक्राफ्ट तैयार करने में जरूरी भूमिका निभाई थी। इससे पहले वह सतीश धवन स्पेस सेंटर के डायरेक्टर और 13 PSLV मिशन के डायरेक्टर के पद संभाल चुके हैं।
जे जयप्रकाश थे चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के मिशन डायरेक्टर
ISRO के रॉकेट स्पेशलिस्ट जे जयप्रकाश को चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग का मिशन डायरेक्टर बनाया गया था। कोल्लम के रहने वाले जयप्रकाश ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और बेंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से अपनी पढ़ाई पूरी की है। वो साल 1985 में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से जुड़े थे। इस मिशन में उनके साथ रघुनाथ पिल्लई ने व्हीकल डायरेक्टर की भूमिका निभाई थी।
16,500 लोग थे मिशन में शामिल
ये केवल कुछ वैज्ञानिकों के नाम है, जिन्होंने इस मिशन में जरूरी भूमिकाएं निभाई हैं। चंद्रयान-2 मिशन को सफल बनाने के लिए 16,500 लोग दिन-रात मेहनत कर रहे थे।