इस्तीफा देने पर अड़े राहुल गांधी, अगले अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया में भी नहीं होंगे शामिल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफे का उनका फैसला अटल है और वह इस पर पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नया पार्टी अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया में भी वह शामिल नहीं होंगे। बता दें कि इस्तीफे के बाद से ही कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने में लगे हुए हैं, लेकिन उनके ताजा बयान से साफ होता है कि वो इसमें असफल रहे।
अगले अध्यक्ष के चुनाव में नहीं होंगे शामिल
NDTV से बात करते हुए राहुल ने कहा कि पार्टी में जवाबदेही होनी चाहिए और वह इस्तीफा देने के फैसले पर अडिग हैं। उन्होंने कहा, "मैं नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होने जा रहा। ये चीजों को उलझा देगा और पार्टी को इस पर फैसला लेना होगा।" वहीं, समाचार एजेंसी PTI के अनुसार राहुल ने कहा कि वह इस पर फैसला लेने के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं और वह प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे।
फिर कही राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की बात
संसद के बाहर रिपोर्ट्स से बात करते हुए राहुल ने राफेल सौदे में "चोरी" का अपना आरोप फिर से दोहराया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण में राफेल के जिक्र पर उन्होंने कहा, "मैं अपनी बात पर कायम हूं कि राफेल सौदे में चोरी हुई है।"
हार की जिम्मेदारी लेते हुए दिया था इस्तीफा
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की 100 प्रतिशत जिम्मेदारी लेते हुए राहुल ने अपने पद से इस्तीफा देने का फैसला लिया था। कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) ने उनका ये इस्तीफा सर्वसम्मति से खारिज करते हुए उनसे पद पर बने रहने की अपील की थी। हालांकि इसके बाद भी राहुल गांधी इस्तीफा देने के अपने फैसले पर अड़े रहे, जिसके बाद पार्टी के तमाम नेताओं ने उन्हें मनाने की असफल कोशिश की।
गांधी परिवार के किसी सदस्य को अध्यक्ष बनाने पर भी राजी नहीं राहुल
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि केवल गांधी परिवार को कोई सदस्य ही कांग्रेस को एक साथ बनाए रखने में कामयाब रह सकता है। लेकिन राहुल ने इस संभावना को भी खारिज करते हुए कहा था कि अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का कोई सदस्य होना चाहिए। प्रियंका गांधी का नाम सामने आने पर उन्होंने कहा था कि उनकी बहन को इस मामले में न खींचा जाए। उन्होंने कांग्रेस के लिए कार्य करते रहने की बात कही थी।
वंशवादी छवि है कांग्रेस की सबसे बड़ी बाधा
वंशवादी राजनीति कांग्रेस के खिलाफ आलोचकों की सबसे मजबूत दलीलों में से एक रही है। आलोचक कहते रहे हैं कि एक परिवार ही पूरी पार्टी को चलाता है और पार्टी में कोई जवाबदेही नहीं है। कांग्रेस में अन्य बड़े नेताओं के उभरने में भी ये बड़ी बाधा साबित हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी ने जनता के बीच उसकी छवि को खूब उछाला और इसका असर चुनाव परिणाम पर भी देखने को मिला।
गांधी परिवार से रहे हैं कांग्रेस के अधिकांश अध्यक्ष
आजादी के बाद ज्यादातर समय गांधी परिवार का कोई सदस्य ही कांग्रेस अध्यक्ष रहा है। जवाहर लाल नेहरू के दौर में और राजीव गांधी की हत्या के बाद कुछ समय के लिए गांधी परिवार से बाहर के लोग कांग्रेस अध्यक्ष रहे। 1998 में सीताराम केसरी को पद से हटाते हुए सोनिया गांधी अध्यक्ष बनीं। उनके नाम सबसे अधिक समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड है। 2017 में राहुल ने सोनिया से अध्यक्ष पद का भार संभाला था।