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    भारत को 'आंशिक स्वतंत्र' बताने वाली रिपोर्ट पर सरकार की प्रतिक्रिया, अनुचित और भ्रामक बताया

    भारत को 'आंशिक स्वतंत्र' बताने वाली रिपोर्ट पर सरकार की प्रतिक्रिया, अनुचित और भ्रामक बताया
    लेखन प्रमोद कुमार
    Mar 06, 2021, 09:12 am 1 मिनट में पढ़ें
    भारत को 'आंशिक स्वतंत्र' बताने वाली रिपोर्ट पर सरकार की प्रतिक्रिया, अनुचित और भ्रामक बताया

    भारत सरकार ने अमेरिकी थिंक टैंक फ्रीडम हाउस की उस रिपोर्ट को भ्रामक और अनुचित बताया है, जिसमें देश का दर्जा 'स्वतंत्र' से घटाकर 'आंशिक स्वतंत्र' किया गया था। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि देश के कई राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें हैं, जो बताता है कि भारत में लोकतंत्र है। यहां विभिन्न विचारधाराओं को महत्व दिया जाता है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

    फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में क्या कहा गया था?

    दुनियाभर के देशों में स्वतंत्रता के स्तर पर नजर रखने वाले अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक फ्रीडम हाउस ने अपनी हालिया रिपोर्ट में भारत के स्वतंत्रता के स्कोर को घटाकर उसे 'स्वतंत्र' से 'आंशिक स्वतंत्र' श्रेणी में डाल दिया था। इस गिरावट के लिए उसने मोदी सरकार में नागरिकों की आजादी पर हमले और मुस्लिमों के प्रति बढ़ते भेदभाव को जिम्मेदार बताया था। बता दें कि 1997 के बाद पहली बार भारत को 'आंशिक स्वतंत्र' घोषित किया गया है।

    सरकार ने रिपोर्ट पर क्या प्रतिक्रिया दी है?

    सरकार की तरफ से जारी बयान में रिपोर्ट में उठाई गई बातों का बिंदुवार जवाब दिया गया है। रिपोर्ट में मुस्लिमों के प्रति भेदभाव की बात का जवाब देते हुए कहा गया है कि सरकार संविधान में दिए गए समानता के अधिकार के तहत अपने सभी नागरिकों को एक समान मानती है। दिल्ली दंगों के बारे में सरकार ने कहा कि कानून-व्यवस्था से जुड़ी एजेंसियों ने निष्पक्षता और तेजी से काम किया। एजेंसियों की तरफ से उचित कार्रवाई की गई।

    देशद्रोह के कानून के इस्तेमाल पर सरकार की प्रतिक्रिया

    देशद्रोह के कानून के इस्तेमाल पर सरकार की तरफ से कहा गया है कि देश में सरकारी आदेश और पुलिस राज्य के विषय है। अपराधों की जांच, दर्ज करना और मुकदमा, जीवन और संपत्ति की सुरक्षा समेत कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकारों का दायित्व है। इसलिए कानूनी एजेंसियों ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए सही कदम उठाए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि असहमति को दबाने के लिए देशद्रोह जैसे कानूनों का उपयोग किया जा रहा है।

    लॉकडाउन पर सरकार ने क्या कहा?

    लॉकडाउन के बारे में रिपोर्ट में कही गई बातों पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार ने कहा कि केंद्र और राज्यों के स्तर पर यह फैसला लिया गया था। अगर लोग एक से दूसरी जगह जाते तो संक्रमण फैलता। सरकार ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान लोगों की परेशानियों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए थे। लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया गया। लॉकडाउन के कारण भारत में संक्रमण की रफ्तार धीमी रही।

    मानवाधिकार संगठनों पर सरकार की प्रतिक्रिया

    फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में सरकार पर मानवाधिकार संगठनों की स्वतंत्रता कम करने का आरोप लगाया गया था। इस पर सरकार ने कहा है कि भारत सरकार मानवाधिकार की रक्षा के लिए कई कानूनों के तहत पूरी सुरक्षा देती है। कानून में मानवाधिकारों के बेहतर संरक्षण और इस विषय से जुड़े मसलों के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोगों के गठन का प्रावधान है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करते हैं।

    असहमति के दमन पर सरकार की प्रतिक्रिया

    असहमति को दबाने की कोशिश पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार ने कहा कि भारत के संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार दिया गया है। चर्चा, बहस और असहमति भारत के लोकतंत्र का हिस्सा है। भारत सरकार पत्रकारों समेत देश के सभी नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से विचार कर पत्रकारों और मीडिया कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून लागू करने का निवेदन किया है।

    इंटरनेट शटडाउन पर क्या कहा गया है?

    इंटरनेट शटडाउन पर सरकार की तरफ से कहा गया है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कभी-कभार इंटरनेट और टेलीफोन सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित किया जाता है। हालांकि, इसके लिए तय प्रक्रिया का पालन किया जाता है।

    अमनेस्टी इंटरनेशनल पर सरकार ने क्या कहा?

    अमनेस्टी इंटरनेशनल की संपत्ति को जब्त करने के मामले में सरकार की तरफ से कहा गया है कि इस संस्था को FCRA कानून के तहत अंतिम बार दिसंबर, 2000 में मंजूरी मिली थी। इसके बाद तमाम कोशिशों के बावजूद उसे अलग-अलग सरकारों की तरफ से FCRA की मंजूरी नहीं मिली क्योंकि वह ऐसी अनुमति के योग्य नहीं थी। अमनेस्टी को सरकार की मंजूरी के बिना बड़ी मात्रा में विदेशी धन मिला था, जिससे कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन हुआ।

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