अमेरिकी थिंक टैंक ने भारत को "आंशिक स्वतंत्र" देश बताया, मोदी सरकार को ठहराया जिम्मेदार
क्या है खबर?
दुनियाभर के देशों में स्वतंत्रता के स्तर पर नजर रखने वाले अमेरिका स्थित प्रतिष्ठित थिंक टैंक 'फ्रीडम हाउस' ने भारत के स्वतंत्रता के स्कोर को घटाकर उसे "स्वतंत्र" से "आंशिक स्वतंत्र" श्रेणी में डाल दिया है।
थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में इस गिरावट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में नागरिकों की आजादी पर हमले और मुस्लिमों की बढ़ते भेदभाव को जिम्मेदार बताया है।
1997 के बाद पहली बार भारत को "आंशिक स्वतंत्र" घोषित किया गया है।
रिपोर्ट
भारत के स्वतंत्रता स्कोर में आई चार नंबरों की कमी
अमेरिकी सरकार के फंड से जलने वाले फ्रीडम हाउस थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में भारत को 100 में से 67 नंबर दिए हैं जो पिछले साल 71 के मुकाबले चार काम हैं। इसी के साथ भारत 211 देशों की रैंकिंग में 83वें स्थान से फिसलकर 88वें स्थान पर आ गया है।
इस गिरावट के साथ ही भारत "आंशिक स्वतंत्र" देशों की श्रेणी में आ गया है और वह इक्वाडोर और डोमिनिकन रिपब्लिक जैसे देशों के बराबर खड़ा है।
कारण
मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही कम हो रही स्वतंत्रता- रिपोर्ट
फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है, "2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नागरिक अधिकारों और स्वतंत्रता में कमी आ रही है। उनकी हिंदू राष्ट्रवादी सरकार के राज में मानवाधिकार संगठनों पर दबाव बढ़ा है, शिक्षाविदों और पत्रकारों को धमकाया जा रहा है और मुस्लिमों पर लिंचिंग समेत कई धर्मांध हमले हुए हैं। 2019 में मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने से यह गिरावट और तेज हुई है।"
रिपोर्ट
"कोरोना वायरस महामारी के दौरान अधिकारों के उल्लंघन में आई तेजी"
रिपोर्ट में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ सरकार की प्रतिक्रिया से मौलिक अधिकारों के उल्लंघन में तेजी आने की बात भी कही गई है।
इसमें लिखा है, "लॉकडाउन के दौरान सत्तारूढ़ हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन ने मुस्लिमों को बलि का बकरा बनाया। उन्हें वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया और भीड़ ने उन पर हमले किए। चीन जैसे सत्तावादी देशों का मुकाबला करने की बजाय मोदी भारत को ही सत्तावाद की तरफ ले जा रहे हैं।"
गिरावट
इन पैमानों पर भारत में आई स्वतंत्रता में कमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि अभिव्यक्ति की आवाज को दबाने के लिए देशद्रोह जैसे कानूनों का उपयोग करने के कारण भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कमी आई है।
वहीं विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) में संशोधन और अमनेस्टी इंटरनेशनल की संपत्ति को जब्त करने से मानवाधिकार संगठनों की स्वतंत्रता प्रभावित हुई है।
इसके अलावा पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की राज्यसभा में नियुक्ति के कारण "स्वतंत्र न्यायापालिका" के भारत के स्कोर में भी कमी की गई है।
इंटरनेट स्वतंत्रता
इंटरनेट स्वतंत्रता में लगातार तीसरे साल आई कमी
रिपोर्ट में भारत की इंटरनेट स्वतंत्रता के स्कोर को 51 ही रखा गया है। हालांकि इसमें लगातार तीसरे साल भारत में इंटरनेट स्वतंत्रता में बड़ी कमी आने की बात कही गई है और इंटरनेट शट़डाउन, कंटेट ब्लॉकिंग और ऑनलाइन शोषण जैसे उदाहरण दिए गए हैं।
रिपोर्ट में फरवरी, 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों और 1992 बाबरी विध्वंस मामले में सभी आरोपियों के बरी होने के मामलों का भी जिक्र किया गया है।
अन्य देश
"आंशिक स्वतंत्र" की श्रेणी में डाले गए कुल 73 देशों, 2006 के बाद सबसे अधिक
रिपोर्ट में भारत एकमात्र ऐसे देश नहीं है जिसके स्कोर में कमी आई है और अन्य 72 देशों को भी "आंशिक स्वतंत्र" श्रेणी में डाला गया है। 2006 के बाद यह ऐसे देशों की सबसे अधिक संख्या है।
इसके अलावा भारत के "स्वतंत्र" से "आंशिक स्वतंत्र" श्रेणी में जाने के साथ ही दुनिया में स्वतंत्र देशों में रहने वाले देशों की संख्या 20 प्रतिशत से भी कम हो गई है जो 1995 के बाद सबसे कम है।