लद्दाख: चीन को जवाब देने की तैयारी, LAC से महज 35 किलोमीटर दूर एयरबेस बनाया जाएगा
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर निगरानी और सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारत ने बड़ा फैसला लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लद्दाख में स्थित न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) को भारत आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एयरबेस के तौर पर विकसित करने जा रहा है। बता दें कि यह एयरबेस चीन की सीमा से मात्र 35 किलोमीटर दूर होगा, इसलिए इसे सीमा पर तनाव के लिहाज से बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
एयरबेस से होगा आधुनिक लड़ाकू विमानों का संचालन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरबेस पर कंक्रीट की 2.7 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी बनाई जाएगी, जो राफेल, सुखोई-30 और तेजस जैसे कई लड़ाकू विमानों को संचालित करने में सक्षम होगी। अभी यहां से केवल अपाचे, चिनूक और MI-17 जैसे हेलिकॉप्टरों का ही संचालन किया जाता है। अभी यहां केवल मिट्टी की हवाई पट्टी है, जिसका इस्तेमाल सीमा पर तैनात जवानों को रसद पहुंचाने और लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने के लिए किया जाता है।
3 चरणों में बनेगा एयरबेस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस योजना पर 230 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसे 3 चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में हवाई पट्टी का विस्तार, दूसरे चरण में हैंगर का निर्माण और तीसरे चरण में बुनियादी सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। इसके पहले खबर आई थी कि भारतीय वायुसेना ने 4 हेरॉन एमके-2 ड्रोन को लद्दाख में तैनात किया है। न्योमा सैन्य स्टेशन पर लड़ाकू टैंक और तोप तैनात किए जाने की भी खबरें हैं।
लद्दाख में ये तीसरा एयरबेस होगा
वर्तमान में भारतीय वायुसेना लद्दाख में 2 एयरबेस का संचालन कर रही है। इनमें से एक लेह में और दूसरा परतापुर में है। ये दोनों LAC से 100 किलोमीटर से भी ज्यादा दूर हैं, इसलिए वायुसेना LAC के नजदीक एक एयरबेस विकसित करना चाह रही थी। इसके अलावा न्योमा, फुकचे और दौलत बेग ओल्डी (DBO) में वायुसेना के ALG हैं। LAC से DBO की दूरी 9 किलोमीटर, न्योमा की 35 किलोमीटर और फुकचे की 14 किलोमीटर है।
वायुसेना ने न्योमा को ही क्यों चुना?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले DBO को एयरबेस विकसित करने के लिए चुना गया था क्योंकि यह 16,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। हालांकि, इस इलाके पर चीन नजर रख सकता है, इसलिए DBO को योजना से बाहर कर दिया गया। दूसरी ओर फुकचे में लंबी हवाई पट्टी बनाने और बुनियादी ढांचे के निर्माण की क्षमता सीमित थी। इन दोनों जगहों के मुकाबले न्योमा में साल के ज्यादातर समय मौसम साफ रहता है, इसलिए न्योमा का चयन किया गया।
चीन के खिलाफ सेना को मिलेगी मदद
बता दें कि इस एयरबेस का रणनीतिक तौर पर खासा महत्व है। चीन से भारत का सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की 19 राउंड की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई खास नतीजा नहीं निकला है। चीन विवादित इलाकों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को बढ़ाने का काम कर रहा है। इस लिहाज से ये एयरबेस भारतीय सेना के लिए रणनीतिक तौर पर खासा अहम है।