वायुसेना को मिलेंगे दो और एयर वॉर्निंग सिस्टम, एयर स्ट्राइक के बाद महसूस हुई थी जरूरत

भारतीय वायुसेना को दो और एयर वार्निंग सिस्टम मिलने का रास्ता साफ हो गया है। रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने शनिवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और वायुसेना को दो एयरबस 330 खरीदने और उन्हें 360 डिग्री लॉन्ग रेंज के एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) में बदलने के 9,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। बता दें कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद अधिक AWACS होने की जरूरत महसूस की गई थी।
DAC से मंजूरी मिलने के बाद अब इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) के पास भेजा जाएगा। CCS की मंजूरी के बाद इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में तीन साल लग सकते हैं।
मामले से संबंधित कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने 'हिंदुस्तान टाइम्स' को प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की ये जानकारी दी है। इनमें से एक अधिकारी ने कहा, "ज्यादा AWACS होने की जरूरत असल में बालाकोट एयर स्ट्राइक के के बाद महसूस की गई थी क्योंकि पाकिस्तान अपने SAAB AWACS को 24*7 उत्तर और दक्षिण के सेक्टरों में तैनात करने में समर्थ रहा था, जबकि भारत दोनों जगहों को प्रतिदिन केवल 12 घंटे ही कवर कर सका।"
प्रस्ताव के मुताबिक, एयरबस AWACS वायुसेना और DRDO के बीच 50-50 जॉइंट वेंचर होगा। सबसे पहले विमान खरीदे जाएंगे जिसके बाद DRDO इस पर 360 डिग्री रॉटर रडार लगाएगा। इसके अलावा अत्याधुनिक संचार क्षमता भी इन विमानों में लगाई जाएगा जो भविष्य में वायुसेना के लड़ाकू विमानों और हमला करने वाले हेलीकॉप्टरों की मदद करेगी। DRDO ने एक एम्ब्राएर एयरबोर्न वार्निंग सिस्टम को वायुसेना को देने का फैसला भी लिया है, ताकि उसकी क्षमता में वृद्धि हो सके।
बता दें कि वायुसेना के पास अभी रुसी A-50 प्लेटफॉर्म पर लगाए गए दो इजरायली फॉल्कन (PHALCON) रडार और एम्ब्राएर विमानों में लगाए गए दो DRDO द्वारा विकसित रडार मौजूद हैं जो AWACS की तरह काम करते हैं।
AWACS लॉन्ग रेंज रडार सर्विलांस सिस्टम होता है जिसका इस्तेमाल वायु सुरक्षा के लिए किया जाता है। ये लगभग 370 किलोमीटर तक की दूरी में किसी भी वायु गतिविधि को पकड़ सकता है। AWACS काफी नीचे उड़ान भर रहे विमानों को भी पकड़ सकता है और किसी भी मौसम में काम करने में सक्षम है। इसमें लगा हुआ कंप्यूटर दुश्मनों की कार्रवाई और उनकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। इसे विरोधी पकड़ नहीं सकते है।
AWACS न केवल हवाई खतरे के बारे में बताता है बल्कि जवाबी हमले में भी मदद करता है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर बम बरसाने वाले मिराज विमानों की सुरक्षा AWACS ने ही की थी। यही नहीं अगर इजरायली फाल्कन AWACS नहीं होता तो 27 फरवरी को पाकिस्तान द्वारा भारत में हवाई घुसपैठ की कोशिश पर भारत की प्रतिक्रिया कमजोर होती। इसने पाकिस्तानी विमानों के उड़ान भरते ही भारतीय वायुसेना को अलर्ट कर दिया था।
इसके अलावा अगर फाल्कन AWACS नहीं होता तो भारतीय वायुसेना को कभी ये नहीं पता चलता कि विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने पाकिस्तानी वायुसेना के एक लड़ाकू विमान को मार गिराया है। इस लड़ाकू विमान का कोड नाम रेड माइक था। सबूत पेश करते हुए भारत ने इसे अमेरिकी F-16 लड़ाकू विमान बताया था जिसे जॉर्डन ने पाकिस्तान को बेचा था, जबकि पाकिस्तान हमले में F-16 के इस्तेमाल से इनकार करता रहा है।