कैसा रहा भारत में कोरोना वायरस महामारी का एक साल का सफर?
आज भारत में कोरोना वायरस महामारी को एक साल पूरा हो गया है और आज ही के दिन पिछले साल देश में कोरोना से संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इस एक साल के दौरान भारत ने हजारों लोगों की मौतों से लेकर करोड़ो लोगों को बेरोजगार करने वाले लॉकडाउन तक कई बुरे मुकाम देखें और अब देश महामारी को मात देने के मुहाने पर खड़ा है। आइए महामारी के इस एक साल के सफर पर नजर डालते हैं।
केरल की छात्रा बनी देश में कोरोना वायरस का पहला मामला
भारत में 30 जनवरी, 2020 को चीन के वुहान से लौटी केरल की एक छात्रा को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया और वह देश में कोरोना वायरस का पहला मामला बनी। तब वुहान कोरोना वायरस का सबसे बड़ा केंद्र था और यही पहली बार दिसंबर, 2019 में वायरस सामने आया था। 30 जनवरी को पहले मामले के बाद 2 और 3 फरवरी को वुहान से वापस लौटे केरल की दो और छात्रों को संक्रमित पाया गया।
2 मार्च से हुई महामारी की असली शुरूआत
इसके बाद लगभग एक महीने तक देश में कोरोना वायरस का कोई नया मामला पकड़ में नहीं आया और सरकार की ओर से सतर्कता जारी रही। 2 मार्च को दिल्ली और तेलंगाना में कोरोना वायरस से संक्रमण का एक-एक मामला सामने आया और इसे भारत में महामारी की असली शुरूआत कहा जा सकता है। 14 मार्च तक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 100 के पार पहुंच गई और सरकार ने इसे रोकने के अपने प्रयास तेज कर दिए।
वायरस को रोकने के लिए 25 मार्च को लगाया गया लॉकडाउन
इटली जैसे यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए भारत सरकार ने इसे रोकने के लिए पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और फिर 25 मार्च को 21 दिन का पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया। इस दौरान केवल आवश्यक कार्यों को छोड़कर लगभग सभी आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह बंद हो गईं और करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं। इसके बाद लॉकडाउन को पहले 3 मई और फिर 17 मई तक बढ़ा दिया गया।
लॉकडाउन में ढील के बाद तेजी से बढ़ने लगे मामले
सरकार के इस लॉकडाउन ने महामारी की रफ्तार को धीमा करने का काम किया और इससे स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करके बुरी परिस्थितियों के लिए तैयार किया गया। इस बीच मामले भी धीरे-धीरे बढ़ते गए और 17 मई के बाद लॉकडाउन में ढील के बाद इनमें बहुत तेजी से इजाफा होने लगा। 18 मई को संक्रमितों की संख्या एक लाख के आंकड़े को पार कर गई और 16 जुलाई को ये आंकड़ा 10 लाख के आंकड़े को पार कर गया।
सबसे कठिन रहा जुलाई से सितंबर तक का समय
जुलाई से सितंबर तक का समय भारत के लिए सबसे बुरा रहा और इस दौरान दैनिक मामलों की संख्या सभी रिकॉर्ड्स को तोड़ती चली गई। 17 सितंबर को देश में 97,894 नए मामले सामने आए जो देश में महामारी का चरम था और तब यह किसी भी देश में एक दिन में सामने आए सबसे अधिक मामले थे। वहीं 16 सितंबर को रिकॉर्ड 1,290 मौतें हुईं। इस दौरान संक्रमित मामलों की संख्या भी 10.17 लाख तक पहुंच गई।
17 सितंबर के बाद लगातार घटते चले गए दैनिक मामले और मौतें
इस समय देशवासियों को इस महामारी का कोई अंत नहीं दिख रहा था और देश में दैनिक मामलों के एक लाख के आंकड़े को पार करना महज औपचारिकता रह गया था। हालांकि ऐसा नहीं हुआ और 17 सितंबर के चरम के बाद देश में मामले लगातार घटते चले गए और अब तक घट रहे हैं। इसके साथ ही मौतों और सक्रिय मामलों की संख्या में लगातार गिरावट आती चली गई और केवल 15 दिन ऐसे रहे जब सक्रिय मामले बढ़े।
अभी यह है महामारी की स्थिति
अभी देश में रोजाना औसतन 12,000-14,000 नए मामले सामने आ रहे हैं और पिछले कुछ दिन से दैनिक मौतों की संख्या 150 से कम बनी हुई है। सक्रिय मामलों में भी बड़ी गिरावट आई है और ये 10.17 लाख के चरम से 85 प्रतिशत कम होकर अभी महज 1.70 लाख रह गए हैं। रिकवरी रेट लगभग 97 प्रतिशत है। देश में कुल 1,07,33,131 लोगों को संक्रमित पाया जा चुका है और 1,54,147 लोगों की मौत हुई है।
वैक्सीनों के आगमन ने आसान की महामारी से लड़ाई
ऐसे समय पर जब देश में महामारी अपने अंतिम चरण में नजर आ रही है, वैक्सीन के आगमन ने भारत की लड़ाई को और मजबूत किया है। देश में 3 जनवरी को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी और शुक्रवार तक 35 लाख से अधिक लोगों को ये वैक्सीनें लगाई जा चुकी हैं। सरकार का लक्ष्य जुलाई-अगस्त तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाना है।
अंतिम दिन गिन रही महामारी, लेकिन...
उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन के वार की मदद से भारत पहले से ही पीछे हट रही कोरोना महामारी पर जीत पा लेगा। हालांकि विशेषज्ञों ने नए स्ट्रेनों को लेकर चेताया है और लोगों से सावधानी बरकरार रखने की अपील की है।