सीमा विवाद: चीन ने बनाई काराकोरम पास के लिए नई सड़क, दो घंटे कम हुआ रास्ता
क्या है खबर?
पूरी दुनिया के सामने सार्वजनिक तौर पर शांति की बात कर रहा चीन अपनी चालों से बाज नहीं आ रहा है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से लगते इलाकों में तेजी से नया इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने में लगा हुआ है।
इस नए इंफ्रास्ट्रक्चर में रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण भारत के काराकोरम पास के लिए एक वैकल्पिक सड़क भी शामिल है। इस नई सड़क के कारण चीन के लिए काराकोरम पास तक की दूरी कम हो गई है।
रिपोर्ट
8-10 मीटर चौड़ी है चीन द्वारा बनाई गई सड़क
मामले की जानकारी रखने वाले भारतीय अधिकारियों ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि चीन ने काराकोरम पास तक 8-10 मीटर चौड़ी एक वैकल्पिक सड़क बना ली है और इससे चीन के लिए काराकोरम तक की दूरी दो घंटे कम हो जाएगी।
एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर के अनुसार, चीन अक्साई चिन में भी लगभग हर कच्ची सड़क को बड़ा कर रहा है, ताकि उनसे भारी वाहन निकल सकें।
इसके अलावा सैन्य वाहनों और सैन्य टेटों की संख्या भी बढ़ाई गई है।
नया डिपो
गोलमुड में भी चीन बना रहा नया डिपो
अधिकारियों के अनुसार, चीन अपने अंदरूनी इलाकों में भी नया इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर रहा है और वह गोलमुड में एक नया रसद डिपो बना रहा है जिसमें पेट्रोल और तेल स्टोर करने के लिए एक अंडरग्राउंड फैसिलिटी भी होगी।
ये डिपो LAC से तो 1,000 किलोमीटर दूर है, लेकिन रेलवे के जरिए तिब्बत की राजधानी ल्हासा से जुड़ा हुआ है। इससे भारत-तिब्बत सीमा पर सैनिक तैनात करने और उन्हें सुविधाएं प्रदान करने की चीन की क्षमता बहुत बढ़ जाएगी।
अन्य निर्माण
चीन के ये निर्माण भी भारत के लिए चिंता का विषय
अन्य इलाकों की बात करें तो अरुणाचल प्रदेश के पास स्थित चीन के पांग ता हवाई अड्डे पर दो नई अंडरग्राउंड सुरंगों का निर्माण भारत के लिए चिंता का कारण बना हुआ है। चीन पहाड़ों में ऐसी अंडरग्राउंड सुरंगों का इस्तेमाल विमानों को छिपाने के लिए करता है।
इसके अलावा काराकोरम के विपरीत स्थित कांगजीवार टाउन को भी फिर से खड़ा करके उसे होटन हवाई अड्डे से जोड़ा जा रहा है। होटन LAC से मात्र 320 किलोमीटर दूर स्थित है।
महत्व
इसलिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है काराकोरम पास
पूर्वी लद्दाख में लगभग 18,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित काराकोरम पास भारत के लिए रणनीतिक तौर पर बेहद अहम है। काराकोरम में भारत के लद्दाख और चीन के जिनजियांग प्रांत की सीमाएं लगती हैं।
जिनजियांग से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) जाने वाला चीन का हाईवे इसके पास से गुजरता है और सियाचिन की चोटियां भी इसके पास ही स्थित हैं। इलाके में ये एकमात्र ऐसी जगह है जिस पर भारत का अधिकार है।
दौलत बेग ओल्डी
काराकोरम के पास DBO में भारत की हवाई पट्टी
काराकोरम पास के पास ही दौलत बेग ओल्डी (DBO) में भारत की अंतिम पोस्ट है और उसने यहां एक हवाई पट्टी बना रखी है जो दुनिया की सबसे ऊंची हवाई पट्टी है। भारत ने लेह के दुरबुक से लेकर DBO तक एक सड़क भी बनाई है।
चीन की लंबे समय से DBO और काराकोरम पास पर बुरी नजर रही है और भारत के सड़क निर्माण का उसने जमकर विरोध किया है। मौजूदा तनाव का एक कारण ये सड़क भी है।
तैयारियां
भारत में काराकोरम के पास तैनात कर रखे हैं टी-90 टैंक और तोपें
मौजूदा तनाव में भारत को शुरू से आशंका रही है कि चीन काराकोरम पास पर कब्जे की कोशिश कर सकता है और अक्साई चिन में चीनी सैनिकों के भारी जमावड़े ने उसकी इस आशंका को दम दिया है।
इसी कारण भारत ने यहां न केवल अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं, बल्कि टी-90 टैंकों और एम-777 155 एमएम होवित्जर तोपों को भी यहां तैनात किया है। इसके अलावा 130 एमएम बंदूकों और बख्तरबंद वाहनों को भी तैनात किया गया है।