कोरोना वायरस: भारत को जल्द मिल सकती है नाक द्वारा दी जाने वाली वैक्सीन
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी से मुकाबले के लिए भारत को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' के रूप में दो वैक्सीनें मिल चुकी हैं।
सरकार अब जल्द ही इनके साथ देशभर में मेगा वैक्सीनेशन अभियान शुरू करने वाली है।
इसी बीच बड़ी खबर है कि भारत को अब जल्द ही नेजल (नाक के द्वारा दी जाने वाली) वैक्सीन भी मिल सकती है। कुछ ही दिनों में नागपुर में इसका ट्रायल भी शुरू होने वाला है।
जानकारी
क्या होती है नेजल या इंट्रानेजल वैक्सीन?
बता दें कि वर्तमान में कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की जा रही अधिकर वैक्सीन इंजेक्शन (सिरिंज द्वारा मांसपेशियों के जरिए शरीर में पहुंचाना) के रूप में तैयार की जा रही है।
इसके उलट नेजल इंट्रानेजल वैक्सीन को नाक के जरिए शरीर में पहुंचाया जाता है। कोरोना के संक्रमण की शुरुआत भी नाक से होती है।
सेंट लुइस के वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के अध्ययन में पाया गया है कि नेजल वैक्सीन शरीर में मजबूत इम्यूनिटी देती है।
निर्माण
नेजल वैक्सीन पर काम कर रही है भारत बायोटेक
'कोवैक्सिन' तैयान करने वाली हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी ही नेजल वैक्सीन पर काम रही है। इसके लिए उसने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ भागीदारी की है।
कंपनी ने वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए सभी तैयारी कर ली है और जल्द ही इसके लिए नियामक संस्था से अनुमति मांगी जाएगी।
अनुमति के बाद नागपुर के गिल्लुरकर मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में इसका ट्रायल शुरू किया जाएगा।
बयान
हम सिंगल खुराक वैक्सीन पर कर रहे हैं काम- एला
इंडिया टुडे के अनुसार भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक डॉ कृष्णा एला ने कहा, "हम वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की भागीदारी के साथ सिंगल खुराक वाली नेजल वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। यह दो खुराक वाली इंजेक्शन वैक्सीन की तुलना में ज्यादा प्रभावी होगी।"
उन्होंने आगे कहा, "अध्ययन में साबित हुआ है कि कोरोना वायरस का हमला नाक के जरिए होता है और उसके उपचार के लिए नेजल वैक्सीन सबसे अच्छा विकल्प है।"
ट्रायल
अगले दो सप्ताह में ट्रायल शुरू करने के लिए हैं तैयार- एला
डॉ एला ने कहा, "हम अगले दो सप्ताह में 'नेजल कोवैक्सिन' का ट्रायल शुरू करने के लिए तैयार हैं। इसके इंजेक्शन की तुलना में अधिक प्रभावी होने के पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध हैं। जल्द ही DCGI को ट्रायल की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा, "नेजल कोवैक्सिन का देश में भुवनेश्वर, पुणे, नागपुर और हैदराबाद में 18 साल से अधिक उम्र के 30-45 वॉलेंटियरों पर ट्रायल किया जाएगा। इसके बाद आगे की योजना बनाई जाएगी।"
फायदा
क्या इंजेक्शन की तुलना में बेहतर होगी नेजल वैक्सीन?
विशेषज्ञों के अनुसार नेजल वैक्सीन गेम चेंजर साबित हो सकती है। इंजेक्शन वैक्सीन से केवल शरीरी के निचले हिस्से में स्थित फेफड़ों की रक्षा होती है।
ऐसे में नेजल वैक्सीन नाक से लेकर पूरे शरीर को सुरक्षा प्रदान करेगी और संक्रमण के बचाव के साथ उसके प्रसार को भी रोकेगी।
इसके अलावा जब वैक्सीन नाक के जरिए दी जाती है तो वह तेजी से लिम्फ नोड्स तक पहुंचती है और वायरस के खिलाफ तेजी से काम करती है।
बयान
सिरिंज की खपत को बचाएगी नोजल वैक्सीन- पंडा
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ डॉ समीरन पांडा ने कहा कि नेजल वैक्सीन के उपयोग से बड़ी मात्रा में सिंरिंज की बचत भी होगी।
उन्होंने कहा कि शरीर में इम्यून सिस्टम की दो भुजाएं एंटीबॉडी और प्रोटीन होती है। नाक और श्वसन पथ के जरिए संक्रमण फैलने पर नेजल वैक्सीन दी जाती है। इससे श्लैष्मिक प्रतिरक्षा बनती है। कोरोना संक्रमण भी नाक के जरिए फैलता है तो नेजल वैक्सीन ज्यादा कारगर है।
अंतरराष्ट्रीय ट्रायल
अमेरिका और UK में चल रहा है नेजल वैक्सीन का ट्रायल
बता दें कि वर्तमान में नेजल वैक्सीन पर अमेरिका और यूनाटेड किंगडम (UK) में ट्रायल चल रहा है।
अमेरिका में इसका ट्रायल शुरू हो चुका है और UK में स्वतंत्र मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने पहले चरण के ट्रायल की मंजूरी दे दी है।
यदि वहां क्लिनिकल ट्रायल में ये वैक्सीन प्रभावी परिणाम देती है तो कोरोना वायरस के खिलाफ यह बहुत अधिक कारगर साबित हो सकती है। सभी को परिणामों को इंतजार है।