भारत ने 10 सालों में 27 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला, झारखंड बना उदाहरण
भारत ने गरीबी हटाने में तेजी से काम किया है। इस बात पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने भी मुहर लगाई है। दरअसल, भारत ने मल्टीडायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (MPI) में तेजी से सुधार किया है। भारतीय राज्य झारखंड इस मामले में सबसे तेजी से सुधार करने वाला सबसे गरीब क्षेत्र है। गुरुवार को जारी ग्लोबल MPI रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2005-06 से लेकर 2015-16 के बीच 27.1 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
2010 में विकसित किया गया था MPI
रिपोर्ट के दस मानकों में से भारत ने संपत्ति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता और पोषण के मामलों में अभाव को दूर किया है। ग्लोबल MPI दुनियाभर के 101 देशों में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मानकों पर नजर रखती है। इसे 2010 में ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्युमन डेवलेपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) और यूनाइटेड नेशन्स डेवलेपमेंट प्रोग्राम (UNDP) ने विकसित किया था। इसमें आय से हटकर लोगों के जीवन में अभावों के आधार पर गरीबी को देखा जाता है।
गरीबों के प्रति झुकाव रखने वाले विकास की बड़ी भूमिका
रिपोर्ट के मुताबिक, चुनिंदा देशों में भारत ने MPI वैल्यू में महत्वपूर्ण कमी दर्ज कराई है। भारत में राज्यों के स्तर पर गरीब समर्थक पैटर्न दिखाई दिया है। भारत ने कुल दो अरब की आबादी वाले 10 देशों में पहला स्थान हासिल किया है।
झारखंड ने पेश किया उदाहरण
झारखंड को एक उदाहरण बताते हुए कहा गया है कि राज्य में 2005-06 से लेकर 2015-16 के बीच बहुआयामी गरीबी 74.9 से घटाकर 46.5 प्रतिशत हो गई है। इसके बाद कंबोडिया का रट्टनक किरी क्षेत्र है। लिस्ट में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में से झारखंड ने सबसे ज्यादा तरक्की की है। भारत उन तीन देशों में शामिल हैं, जहां पर ग्रामीण इलाकों में गरीबी हटने की दर शहरी इलाकों से ज्यादा है।
27.1 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए
रिपोर्ट में इसकी वजह गरीबों के प्रति झुकाव रखने वाले विकास को बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इन 10 सालों में भारत में बहुआयामी गरीबी 55.1 प्रतिशत से आधी घटकर 27.9 प्रतिशत रह गई है। इस दौरान 27.1 करोड़ लोग इस गरीबी से बाहर आए हैं। पहले यह संख्या 64 करोड़ थी अब घटकर 36.9 करोड़ हो गई है। हालांकि, गरीबी की गहनता के संबंध में बात की जाए तो बहुत सुधार नहीं हुआ है।
101 देशों में 23.1 प्रतिशत लोग गरीब
रिपोर्ट के मुताबिक, गरीबी की गहनता 51.1 से घटकर 43.9 प्रतिशत हुई है, जिसका मतलब है कि अभाव को लेकर गरीब व्यक्ति के अनुभव में कोई खास फर्क नहीं आया है। MPI में जिन 101 देशों को ट्रैक किया जाता है उनमें 23.1 प्रतिशत लोग बहुआयामी गरीबी से त्रस्त हैं। इनमें से 50 प्रतिशत बच्चे हैं जिनमें से एक तिहाई की उम्र 10 साल से कम है। इन बच्चों में से 85 प्रतिशत दक्षिण एशिया और अफ्रीका में रहते हैं।