औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हुए विदेश मंत्री जयशंकर, जेपी नड्डा ने दिलाई सदस्यता
विदेश मंत्री एस जयशंकर औपचारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। उन्होंने सोमवार को भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। विदेश सचिव रह चुके जयशंकर को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में विदेश मंत्री बनाया गया है। उन्होंने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जगह ली है, जिन्होंने इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
मोदी के करीबी हैं जयशंकर
भारत के अग्रणी रणनीतिक विश्लेषक रहे के सुब्रमण्यम के बेटे जयशंकर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के नजदीकी माने जाते हैं। कहा जाता है कि पिछली सरकार के दौरान भारत की विदेश नीति के निर्धारण में जयशंकर की अहम भूमिका थी। अमेरिका में भारतीय दूत के तौर पर जयशंकर के काम ने सरकार को प्रभावित किया और उन्हें विदेश सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। भारत-अमेरिका के बीच परमाणु संधि में जयशंकर ने अहम भूमिका निभाई थी।
JNU से पढ़े हैं जयशंकर
दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स करने वाले जयशंकर जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी के छात्र भी रह चुके हैं। उन्होंने यहां से इंटरनेशनल रिलेशन में पीएचडी की है।
कई अहम मसले सुलझाने में रही है जयशंकर की भूमिका
64 वर्षीय जयशंकर 1977 में भारतीय विदेश सेवा (IFS) में शामिल हुए थे। उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और चेक गणराज्य में भारतीय राजदूत और सिंगापुर में उच्चायुक्त के रूप में काम किया है। UPA सरकार द्वारा हस्ताक्षरित भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के अलावा भारत और अमेरिका के बीच देवयानी खोबरागड़े विवाद को सुलझाने में भी जयशंकर की अहम भूमिका थी। जयशंकर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटिजक स्टडी लंदन के भी सदस्य हैं।
रिटायरमेंट के बाद किया था टाटा ग्रुप के साथ काम
विदेश सचिव के पद से रिटायर होने के बाद उन्होंने टाटा ग्रुप के साथ काम किया। जयशंकर ग्रुप के ग्लोबल अफेयर्स के प्रमुख के पद पर थे। पद्मश्री से सम्मानित जयशंकर को चीन और अमेरिका के लिए भारतीय विदेश नीति का विशेषज्ञ माना जाता है।