30 सालों में 34 लाख करोड़ तक कालाधन देश से बाहर भेजे जाने का अनुमान- रिपोर्ट
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीयों ने 1980 से 2010 के बीच में 490 अरब डॉलर (लगभग 34 लाख करोड़) तक का कालाधन देश के बाहर भेजा। तीन प्रतिष्ठित आर्थिक और वित्तीय शोध संस्थानो, NIPFP, NCAER और NIFM, द्वारा किए गए अध्ययन में ये बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, देश के अंदर रियल एस्टेट, खनन, तंबाकू/गुटखा, सोना, फिल्म और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में "निवेश" के रूप में कालेधन को छिपाया हुआ है।
UPA सरकार ने तीनों संस्थानों से मांगी थी रिपोर्ट
कालेधन के मुद्दे पर उबाल के बीच मार्च 2011 में तत्कालीन UPA सरकार ने इन तीनों संस्थाओं को देश और देश के बाहर भारतीयों के कालेधन का अध्ययन करने की जिम्मेदारी दी थी। तीनों संस्थानों ने UPA राज के दौरान ही सरकार को अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन इन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया। अब वित्त मामलों की स्थायी समिति ने सोमवार को इसे लोकसभा में रखा, जिसके बाद ये आंकड़े सामने आए हैं।
लोकसभा भंग होने से पहले सौंपी थी रिपोर्ट
तीनों संस्थानों ने कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली समिति को अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। समिति ने 16वीं लोकसभा समाप्त होने से पहले ये रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को सौंप दी थी, जिसे नई सरकार के गठन के बाद पेश किया गया।
कालेधन का अनुमान लगाने का कोई तरीका नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि कालेधन पर कोई भी विश्वसनीय आंकड़ा मौजूद नहीं है और न ही इसका पता लगाने के लिए कोई सटीक तरीका मौजूद है। पेश आंकड़ों को केवल एक अनुमान बताया गया है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि ये अनुमान प्रारंभिक हैं और समिति ने केवल सीमित हितधारकों की पड़ताल की। तीनों संस्थानों के अनुमानों में बड़े अंतर को इसके सबूत के तौर पर पेश किया गया है।
तीनों संस्थानों के अलग-अलग आंकड़े
रिपोर्ट के अनुसार, NIPFP ने 1997-2009 की समयसीमा में GDP के 0.2 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत तक का कालाधन देश से बाहर जाने की बात कही है। वहीं, NCAER ने कहा है कि 1980 से 2010 के बीच 30 साल के अंदर 384 अरब डॉलर से 490 अरब डॉलर तक का कालाधन देश से बाहर भेजा गया। NIFM ने अपनी रिपोर्ट में 1990-2008 की समयसीमा में 216.48 अरब डॉलर कालाधन देश से बाहर जाने की बात कही है।
स्विस बैंकों में भारतीयों के कुल 7,000 करोड़ रुपये जमा
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2017 तक स्विस बैंकों में भारतीयों का कुल 7,000 करोड़ रुपये धन जमा था। तब 2016 के मुकाबले इसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि आई थी। इससे पहले 3 साल से इसमें कमी आ रही थी। सभी विदेशी ग्राहकों के स्विस बैंकों में कुल 100 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। वहीं, कालाधन बाहर भेजने वाले देशों की सूची भारत शीर्ष 5 देशों में शामिल है। वह चीन, रूस और मैक्सिको के बाद चौथे नंबर पर है।
क्या होता है कालाधन?
कालाधन वो धन या कमाई होती है जो किसी भी बैंकिंग ट्रांजेक्शन से होकर नहीं गुजरी होती और जिस पर टैक्स नहीं दिया गया होता। टैक्स बचाने के लिए ऐसी कमाई को अक्सर उन देशों में छिपा कर रखा जाता है, जहां टैक्स की दर बेहद कम या बिल्कुल नहीं होती। ऐसे देशों को 'टैक्स हेवन' कहा जाता है। स्विस बैंकों में भी इसलिए पैसा जमा किया जाता है और वह अपने ग्राहक की जानकारी किसी से साझा नहीं करते।