उत्तर प्रदेश विधि आयोग का प्रस्ताव- मॉब लिंचिंग के लिए हो उम्रकैद, बने नया कानून
राज्य में बढ़ते मॉब लिंचिंग के मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश विधि आयोग ने इसके लिए उम्रकैद तक की सजा देने का सुझाव दिया है। आयोग के चेयरमैन जस्टिस (रिटायर्ड) एएन मित्तल ने बुधवार को मुद्दे पर रिपोर्ट और बिल का मसौदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा। इनमें गौरक्षा के नाम पर होने वाली मॉब लिंचिंग में भी उम्रकैद की सजा की बात कही गई है। राज्य में मॉब लिंचिंग के कई बड़े मामले देखने को मिले हैं।
मॉब लिंचिंग रोकने के लिए मौजूदा कानून नहीं पर्याप्त
128 पेज की इस रिपोर्ट में मौजूदा कानूनों को मॉब लिंचिंग रोकने के लिए पर्याप्त नहीं माना गया है और तत्काल नए कानून को समय की जरूरत बताया है। इसमें मॉब लिंचिंग के लिए 7 साल से उम्रकैद तक की सजा देने का सुझाव दिया गया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों और जिलाधिकारियों की जवाबदेही तय करने और कर्तव्य का पालन न करने पर सजा की बात भी कही गई है।
रिपोर्ट में अखलाक और सुबोध सिंह का जिक्र
रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से 2019 के बीच उत्तर प्रदेश में मॉब लिंचिंग के 50 मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें 11 पीड़ितों की मौत हो गई। इसमें से 25 मामले गंभीर हमले के थे, जिनमें गौरक्षा के नाम पर हुए हमले भी शामिल हैं। रिपोर्ट में बीफ खाने के शक में 2015 में दादरी में मोहम्मद अखलाक की हत्या और 2018 में बुलंदशहर में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या सहित मॉब लिंचिंग के कई मामलों का जिक्र है।
विधि आयोग ने खुद से संज्ञान ले तैयार की रिपोर्ट
विधि आयोग सचिव सपना त्रिपाठी ने PTI को बताया कि स्थिति को देखते हुए आयोग ने खुद से अध्ययन करने का फैसला लिया था और उसी हिसाब से लिंचिंग रोकने के लिए नए कानून का सुझाव दिया है। आयोग ने कई देशों और राज्यों के कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद बिल का मसौदा बनाया है। इसमें मॉब लिंचिंग के पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देने और उनका पुनर्वास करने का सुझाव भी दिया है।
पुलिस पर हमले से भी पीछे नहीं हट रही भीड़
रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक मणिपुर एकमात्र ऐसा राज्य है जहां मॉब लिंचिंग के खिलाफ विशेष कानून बनाया गया है, जबकि मध्य प्रदेश सरकार ऐसा कानून लाने जा रही है। चेयरमैन मित्तल का कहना है कि भीड़ अब पुलिस पर भी हमला कर रही है और लोगों ने उन्हें दुश्मन के तौर पर देखना शुरू कर दिया है। उन्होंने गाजीपुर में हेड कांस्टेबल और जेल वार्डन की हत्या को इसका एक नमूना बताया।