देश का आधे से ज्यादा भाग जलसंकट से त्रस्त, पानी के लिए संघर्ष कर रहे लोग
देश का आधे से अधिक हिस्सा सूखे जैसे स्थिति से जूझ रहा है। भारतीय मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों में यह बात सामने आई है। झील, कुएं सूखने और भूजल स्तर कम होने की वजह से लाखों लोगों को पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वहीं मानसून में हो रही देरी से फसलों पर भी असर पड़ रहा है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, सुस्त मानसून के चलते कई फसलों की बुआई पर असर पड़ा है।
कई राज्यों में गंभीर जलसंकट
रविवार को जारी मौसम विभाग के बुलेटिन के मुताबिक, 22 जून तक मानसून में 39 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। हालांकि, पिछले हफ्ते इसमें थोड़ी तेजी आई है। विभाग के मुताबिक, मानसून मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ, ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ा है, लेकिन कम बारिश के चलते कई राज्यों में गंभीर जल संकट बना हुआ है। खासकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में हालत सूखे जैसे बने हुए हैं।
खेती पर भी पड़ रहा असर
देश के लगभग 51 फीसदी भाग में बारिश की कमी दर्ज की गई है। इससे फसलों की बुआई पर असर पड़ रहा है। पानी की कमी के चलते खेतों में इस्तेमाल होने वाला पानी लोग पीने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। देश में खेती, बिजली उत्पादन और पीने के पानी के लिहाज से जरूरी 91 बेसिन और जलाशयों का जलस्तर पिछले साल के मुकाबले कम हो गया है। यह जलस्तर पिछले 10 सालों के औसत जलस्तर से कम है।
जलाशयों में सामान्य से कम हुआ जलस्तर
तेलंगाना के जलाशयों में जलस्तर सामान्य से 36 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 83 फीसदी, कर्नाटक में 23 फीसदी, तमिलनाडु में 43 फीसदी और केरल में 38 फीसदी कम है। यहां सामान्य स्तर से मतलब पिछले 10 सालों के औसत जलस्तर से है।
चेन्नई में भयंकर जलसंकट
पानी के गंभीर संकट का सामना कर रहे शहरों में से चेन्नई एक है। शहर में पानी की पूर्ति करने वाले पूंडी, चोलावरम और चेंबरामबक्कम जलाशयों का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। पानी की कमी के चलते कई IT कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा है। इसके अलावा कई रेस्टोरेंट ने लंच देना बंद कर दिया है। नीति आयोग ने पिछले साल कहा था कि भारत इतिहास का सबसे लंबा जलसंकट झेल रहा है।
मानसून को लेकर चिंता की जरूरत नहीं- सरकार
सरकार ने कहा है कि मानसून को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि चक्रवात वायु ने मानसून की गति पर प्रभाव डाला था, लेकिन अब यह सामान्य गति से आगे बढ़ रहा है। फिलहाल यह मध्य प्रदेश और मध्य महाराष्ट्र तक पहुंच गया है और आने वाले कुछ दिनों में दिल्ली पहुंच जाएगा। मानसून को लेकर चिंता करने की कोई बात नहीं है।