पिछले एक साल में भारत में बढ़ा भ्रष्टाचार, करप्शन इंडेक्स में दो स्थान फिसला
क्या है खबर?
डेमोक्रेसी इंडेक्स के बाद अब भ्रष्टाचार संबंधी रैंकिंग में भी भारत दो स्थान नीचे फिसल गया है।
करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPI) में 180 देशों में भारत को 80वां स्थान मिला है। 2018 में भारत 78वें स्थान पर था।
इसका मतलब पिछले एक साल में देश में भ्रष्टाचार कम होने की बजाय बढ़ा है।
गुरूवार को दावोस में हो रही विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक बैठक में ये रिपोर्ट जारी की गई।
करप्शन परसेप्शन इंडेक्स
क्या होता है CPI?
CPI दुनिया के तमाम देशों में भ्रष्टाचार का स्तर दर्शाता है।
दुनियाभर में भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था 'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल' ये रिपोर्ट तैयार करती है।
इसमें सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के आधार पर देशों को 0 से 100 तक अंक दिए जाते हैं और उसी हिसाब से उनकी रैंकिंग होती है।
0 अंक हासिल करने वाले देश में सबसे अधिक भ्रष्टाचार होता है और वहीं 100 अंक हासिल करने वाले देश को सबसे ईमानदार माना जाता है।
रैंकिंग
ऐसा रहा भारत और उसके पड़ोसियों का हाल
भारत को 100 में से 41 अंक दिए गए हैं और वो 80वें स्थान पर है। 2018 में भारत 78वें और 2017 में 81वें स्थान पर था।
अगर भारत के पड़ोसियों की बात करें तो चीन भारत के साथ 80वें स्थान पर ही है। इन दोनों के अलावा बेनिन, घाना और मोरक्को भी इसी स्थान पर हैं।
पाकिस्तान बेहद नीचे 120वें स्थान पर है। वहीं बांग्लादेश मात्र 26 अंकों के साथ 146वें स्थान पर है।
अन्य देश
सबसे ऊपर और सबसे नीचे रहे ये देश
इंडेक्स में डेनमार्क और न्यूजीलैंड सबसे ऊपर हैं और इन देशों में सबसे कम भ्रष्टाचार है।
इन दोनों के अलावा शीर्ष 10 देशों में फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, नीदरलैंड, जर्मनी और लक्जमबर्ग शामिल हैं।
सोमालिया, दक्षिण सूडान और सीरिया क्रमशः 9, 12 और 13 अंकों के साथ सबसे भ्रष्ट देश हैं।
लगभग दो-तिहाई देशों का स्कोर 50 से कम है और औसत स्कोर 43 है।
डाटा
2012 से अब तक केवल 22 देशों में कम हुआ भ्रष्टाचार
रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से लेकर अब तक केवल 22 देशों में भ्रष्टाचार कम हुआ है। इनमें एस्टोनिया, ग्रीस और गुयाना आदि शामिल हैं। वहीं जिन 21 देशों के स्कोर में गिरावट हुई है उनमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे देश शामिल हैं।
रिपोर्ट
जहां अमीर लोगों की सुनती हैं सरकारें, वहां होता है ज्यादा भ्रष्टाचार
ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने कहा कि जिन देशों में चुनाव में बड़े पैमाने पर पैसे का इस्तेमाल होता है और जहां सरकारें अमीर और रसूखदार लोगों की ही सुनती है, वहां भ्रष्टाचार ज्यादा है।
वहीं भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे लोकतांत्रिक देशों में चुनावी फंडिंग अपारदर्शी होने, सरकारी निर्णय में रसूख वाले लोगों की दखलंदाजी और ताकतवर कॉरपोरेट समूहों की लॉबिइंग की वजह से भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना कठिन हो रहा है।