अब बैंकों में ग्राहकों से पूछा जाएगा धर्म, KYC फॉर्म में देनी होगी जानकारी
अब बैंकों में भी ग्राहकों को अपने धर्म की जानकारी देनी होगी। इसके लिए जल्द ही नो यूअर कस्टमर्स (KYC) फॉर्म में कॉलम जोड़ा जाएगा, जिसमें जमाकर्ता और ग्राहकों को अपने धर्म के बारे में बताना होगा। फेमा कानून के नियमों में हुए बदलाव के बाद ऐसा करना जरूरी हो गया है। दरअसल, फेमा कानून के तहत मुस्लिमों को छोड़कर दूसरे अल्पसंख्यक समूहों को भारत में नॉन-रेजिडेंट ऑर्डिनरी (NRO) अकाउंट खोलने और संपत्ति खरीदने की इजाजत होती है।
क्या होता है NRO अकाउंट?
NRO अकाउंट अनिवासी भारतीयों के लिए भारत में खुलने वाला चालू या बचत खाता है, जिसमें वे भारत में कमाई गई रकम को जमा कर सकते हैं।
नियम से बाहर रखे गए हैं मुस्लिम
RBI द्वारा फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट रेगुलेशन में किए गए बदलाव केवल उन्हीं प्रवासियों तक सीमित है, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई आदि अल्पसंख्यक समुदायों से आते हों और जिनके पास भारत में रहने के लिए लंबी अवधि का वीजा होता है। ये लोग भारत में संपत्ति खरीदने और बैंक अकाउंट खोलने के हकदार हैं। इस नियम से मुस्लिम, नास्तिक और म्यांमार, तिब्बत और श्रीलंका से आने वाले अप्रवासियों को बाहर रखा गया है।
पिछले साल लागू हुए नियम
RBI ने कहा है कि NRO अकाउंट रखने वाले व्यक्ति को नागरिकता कानून के तहत भारत की नागरिकता मिलती है तो यह अकाउंट रेजिडेंट अकाउंट बन जाएगा। फेमा कानून के तहत बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम लोग, जिनके पास लंबी अवधि का वीजा है, वह भारत में एक रिहायशी संपत्ति और काम के लिए एक अचल संपत्ति खरीद सकते हैं। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ये नियम पिछले साल लागू किए गए थे।
अभी तक बैंकों में नहीं पूछा जाता धर्म
TOI को एक अधिकारी ने बताया कि किसी ने नहीं सोचा था कि बैंकिंग के नियमों में भी धर्म को आधार बनाया जाएगा। गौरतलब है कि अभी तक बैंकों में खाता खोलने के लिए धर्म की जानकारी नहीं ली जाती है।
बदलाव से पहले क्या थे नियम?
फेमा नियमों में बदलाव से पहले कोई भी विदेशी भारत में निर्धारित दस्तावेज देकर लंबे समय के लिए FA रेजिडेंट अकाउंट और छह महीनों तक की अवधि के लिए NRO अकाउंट खोल सकता था। जहां तक रिहायशी संपत्ति का सवाल है तो बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल और भूटान के नागरिक को छोड़कर छह महीनों से अधिक समय तक भारत में रहना वाला कोई भी विदेशी यह संपत्ति खरीद सकता था।